सरकार के लाख दावे के बावजूद किसान यूरिया के लिए त्राहिमाम कर रहे।

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सरकार के लाख दावे के बावजूद किसान यूरिया के लिए त्राहिमाम कर रहे।

पूर्वी चंपारण/ प्रतिनिधि (मालंच नई सुबह)सरकार के लाख दावे के बावजूद बिहार के किसानों के बीच यूरिया  को लेकर त्राहिमाम मचा हुआ है किसान एक बोरी यूरिया के लिए दर दर भटक रहे हैं । क्योंकि जो यूरिया किसानों को मिलनी चाहिए वो यूरिया तस्करो के माध्यम से नेपाल पंहुचा दिया जा रहा है
जबकि प्रशासन और राजनेता दावे और वादे में व्ययस्त हैं।
प्रशासन के नाक के नीचे से तस्करी का खेल बदस्तूर जारी है। इस धन्धे में अप्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष प्रशासनिक पदाधिकारी ,नेता यह भी नही सोचते कि लाख अवैध रुपया कमा लें लेकिन खाएंगे अनाज ही न की सोना चांदी हीरे जवाहरात।वो अपने अन्नदाता किसान को बेदर्दी से तरसा और तड़पा पा रहे हैं क्योकि उनकी आत्मा मर चुकी है।जमीर को नीलाम कर रखा है तस्करों के हाथों।मनुष्य के खाल में उनके अंदर हैवानों की आत्मा बस रही है।
साक्ष्य के तौर पर ये तस्वीर हैवनियत की काली करतूतों की कहानी जब सोसल मीडिया पर शुरू की तब पदाधिकारियो की बेचैनी बढ़ गयी।
ये तस्वीर नेपाल से सटे सीमावर्ती जिले पूर्वी चंपारण की है … जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर घोड़ासहन प्रखंड के बरहरवा एवं आठमोहान बॉर्डर कि ये तस्वीर है  जहाँ पर सिमा सुरक्षा बल का कैप भी अवस्थित है तस्वीर में बोर्ड भी दिख रहा है  और उसी रास्ते से साईकिल पर लाद कर सैकड़ो बोरी यूरिया धरले से नेपाल में तस्करो द्वारा पहुचाया जा रहा है ।  तो इधर इसी यूरिया के लिए किसान इस कदर परेशां है कि लगातार कई जगहों से तो मारपीट तक की तस्वीर सामने आ चुकी है ।
अब जरा समझिये की जिस यूरिया के लिये किसान बेचैन है और उन्हें यूरिया मिल नहीं रहा है वही यूरिया तस्करो को कैसे मिल जा रहा है ।
यही नहीं बल्कि जिन किसानों को यूरिया अगर मिल भी गया तो वो सरकारी दर से दोगुने पर मिल रहा है ।

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