– ‘नई धारा’ के वर्ष- 2021 के पुरस्कारों की घोषणा
पटना । 1950 से निरंतर प्रकाशित हो रही चर्चित साहित्यिक पत्रिका ‘नई धारा’ ने 2021 के लिए अपने पुरस्कारों की घोषणा कर दी है। वर्ष 2021 का पन्द्रहवां ‘उदयराज सिंह स्मृति सम्मान’ प्रसिद्ध लेखिका श्रीमती सूर्यबाला को दिया जाएगा, जिसके…
दिल वालों की दिल्ली में बंजारें
प्रियांशु त्रिपाठी पसीने से भींगे कपड़े पहने, पीठ पर सामान का बोझ लिए, आँखों में कुछ सपने छिपाये, कंधों पर जिम्मेदारी सजाये और दिल में थोड़ी उम्मीद लिए कुछ मुसाफ़िर राजधानी दिल्ली में कदम रखते हैं, शहर अंजान नहीं था…
तुम्हारा होना
तुम्हारा होना सलिल सरोज नई दिल्ली मेरे ना होने से तुम्हारा होना कैसे हो जाएगा देखें , बग़ैर आँखों के रोना कैसे…
राष्ट्रीय कवि संगम पटना जिला इकाई द्वारा सम्मान समारोह सह कवि समेलन का आयोजन
पटना डेस्क (मालंच नई सुबह ) स्थानीय मिलेनियम वर्ल्ड स्कूल में आज सम्पन हुआ। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप वैष्णवी एजुकेशनल ट्रस्ट के अध्यक्ष नित्यानंद सिंह उपस्थित थें जिनके द्वारा दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत हुई ।…
” पुरोधा की भूमिका का निर्वाह किया है राष्ट्रकवि दिनकर ने ! ” : आराधना प्रसाद
पटना डेस्क (मालंच नई सुबह ) पटना :27/09/2021! ” राजनीति जब डगमगाती है, तब साहित्य उसे संभाल लेती है ! साहित्य की इस प्रासंगिकता को राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर बखूबी समझते थे ! शायद, यही कारण था कि उन्होंने सौंदर्यशास्त्र…
इसी का नाम ज़िंदगी
——प्रियांशु त्रिपाठी पापा की थाली में हैं कम दो रोटी चॉकलेट भी अब कम खाती छोटी माँ ने तीज में नई साड़ी भी ना ली बेटे ने जो अपनी लैपटॉप बना ली कल फिर उसे जो बहाने पसीना क़स्बे से…
अद्भुत मन्दिर
माधुरी नवम्बर2005की वह संध्या बेला याद आते हीआज भी रोमांचित कर जाती हैऔर मन मयूर उड़ान भर कर चल पड़ता है उस भव्य मंदिर की तलाश में….। काश!कोई तो कह देता ” ऐसा मन्दिर देखा गया है उस जगह…” तो…
युवा लेखिका नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’ की पुस्तक ‘छंटते हुए चावल’ पुरस्कृत
पटना डेस्क (मालंच नई सुबह):18/09/2021! हिंदी और भोजपुरी की लेखिका नीतू सुदीप्ति ‘नित्या’ के दूसरे कथा संग्रह ‘छंटते हुए चावल’ को मथुरा उ. प्र. की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था तुलसी साहित्य – संस्कृति अकादमी न्यास के तहत श्रीमती सरला देवी दीक्षित…
रात चाँद हथेली पर
प्रियांशु त्रिपाठी फिर एक रात चाँद हथेली पर रखकर माँगा है सिर्फ तुमको ही उन टूटे तारों से आज भी कल की ही तरह देखो, क्या मन्नत पूरी होती है या ये भी बनकर रह जायेगा महज़ ख़्वाब का इक…