सृजन, समालोचना व संपादन तीनों में श्रेष्ठ हैं शिवनारायण : डॉ ध्रुव

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पटना /प्रतिनिधि/(मालंच नई सुबह)पटना हिन्दी साहित्य के विशिष्ट कवि- ग़ज़लकार, कथाकार, उपन्यासकार, समालोचक व सम्पादक डॉ शिवनारायण राजधानी पटना ही नहीं संपूर्ण साहित्यिक जगत की गतिविधियों के केंद्र में हैं I वे जितने अच्छे कवि- उतने ही मंजे हुए ग़ज़लगो, जितने संवेदनशील कथाकार – उससे कहीं अधिक सिद्धस्थ उपन्यासकार, जितने प्रखर आलोचक- उतने ही समदर्शी सम्पादक हैं I ”
रविवार को अखिल भारतीय प्रगतिशील लघुकथा मंच के तत्वावधान में रांची से प्रकाशित साहित्यिक मासिक पत्रिका ” अनवरत ” के डॉ शिवनारायण पर केंद्रित विशेषांक के लोकार्पण समारोह में ये बातें पटना दूरदर्शन के कार्यक्रम प्रमुख डॉ राज कुमार नाहर ने कहीं I उन्होंने कहा कि अबतक उनकी 4 दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है I

पत्रिका के अतिथि सम्पादक और लघुकथा मंच के महासचिव डॉ ध्रुव कुमार ने कहा कि डॉ शिवनारायण सृजन, समालोचना और संपादन तीनों में श्रेष्ठ रचनाकार हैं I उनकी साहित्यिक उपलब्धियों की चमक एशिया उपमहाद्वीप से निकल कर यूरोप, अफ्रीका, लैटिन अमरीका जैसे दूसरे महाद्वीपों तक फैल रही है I
उन्होंने कहा कि 11 वर्ष की अवस्था में कलकत्ता से प्रकाशित प्रतिष्ठित दैनिक विश्वमित्र में कथा-लेखन से अपने साहित्यिक जीवन की शुरूआत करने वाले शिवनारायण देश की तीसरी सबसे पुरानी साहित्यिक पत्रिका ” नई धारा ” का पिछले 32 वर्षों से संपादन के गुरुतर दायित्व का सफलतापूर्वक निर्वहन कर रहे हैं।

डॉ शिवनारायण ने अनवरत, इसके सम्पादक दिलीप तेतरवे व अतिथि सम्पादक डॉ ध्रुव कुमार के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि साहित्य मेरे लिए सामाजिक परिवर्तन और सद्भाव के निमित्त एक रचनात्मक औजार है, जिसके ऊपर समय- समय पर अपने लेखन से सान चढ़ाता रहता हूं। शब्द की एकांत साधना करते हुए अभी भी ऐसा लगता है कि सर्वोत्तम लिखना मेरे लिए अभी शेष है I इसलिए अविराम अपने लेखन में जीवन की तलाश करता रहता हूं।

गौरतलब है कि ” अनवरत ” के इस विशेषांक में डॉ उर्मिला शिरीष, हरिपाल त्यागी, डॉ गंगा प्रसाद विमल, डॉ रामधारी सिंह दिवाकर, डॉ आनंद नारायण शर्मा, राधेश्याम तिवारी, डॉ सतीशराज पुष्करणा, श्रीराम तिवारी, अशोक कुमार सिन्हा आदि प्रसिद्ध रचनाकारों के डॉ शिवनारायण के व्यक्तित्व और कृतित्व पर संस्मरणात्मक लेख शामिल हैं I

इस अवसर पर मनीष श्रीवास्तव, डॉ पप्पू यती, डॉ रूपेश कुमार सिंह, अनिल रश्मि, समर्थ नाहर ने भी उनकी साहित्यिक यात्रा की विस्तार से चर्चा की I

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