“सिर्फ अधिकारों का ही नहीं,कर्त्तव्यों की भी पहचान करें”

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बजरंग लाल केजडी़वाल ‘संतुष्ट’तिनसुकिया, असम

कष्ट झेल स्वतंत्र हुए

पाया निज गौरवबेड़ियों से मुक्ति पा मानवता मुस्कुराई।

अपना संविधान बना

अधिकार कर्तव्य तय किए

देश गणराज्य बना

जग में नई पहचान पाई।

हम सब एक हुए अब

एक निशान एक राष्ट्र गान हुआ सब मिल महान देश बना

विजय पताका गगन लहराई।

सबके सब समान हुए

अधिकार सभी मुकम्मल हुए अधिकारों की रक्षा की खातिरकर्तव्यों की सूची बनाई।

खुब पढ़ो ज्ञानी बनो

औरों के पढ़ने में सहयोगी बनो जीना है तो औरों को जिने देने की बात बताई।

सम्मान मिलेगा तुमको पूरागर औरों का मान बढ़ाओ तुमकरो सम्मान जो मान पाना चाहोदोगे सो ही मिले रीत यही है भाई।

जहां अधिकार है कर्तव्य वहांफैलाओ जो दोनों हाथ अपनेआजु बाजु देखो पहले तसल्ली सेकिसी की नाक तो बीच में नहीं आती भाई।

जो तुम चाहो दूसरे का तो हक नहीं इसपर सदा ध्यान सतर्क रखो भाई दूसरों का लिया कभी तो अपनी तो पूंजी भी समझ लो गंवाई।

देश की सम्पदा हम सब की हैइस पर है अधिकार सभी का अपने स्वार्थ में पड़कर इसे न हानि पहुंचावोदेश की सम्पत्ति बचाए रखना मेरे भाई।

जब तक रखोगे अनछेडी़ सही सलामतसबके काम आएगी अनमोल राष्ट्र सम्पदागर निज स्वार्थवश करोगे बेवजह दोहनपैरों तले की जमीन भी खिसक जाएगी भाई।

यही से लेना यही सब दे देनाखाली हाथ हंसा का आना जानाकिया अभिमान तो मान नहीं पायेगाजैसे आजादी पाई वैसे ही जाओगे गंवाई।

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