पांच दिनों से चल रहे महाविद्यालय का स्थापना दिवस सह पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जयंती समारोह का समापन किया गया

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पांच दिनों से चल रहे महाविद्यालय का स्थापना दिवस सह पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जयंती समारोह का समापन किया गया

मोतिहारी प्रतिनिधि मालंच नई सुबह:–पीपराकोठी  पंडित दीनदयाल उपाध्याय उद्यानिकी एवं वाणिकी महाविद्यालय परिसर में डीन डा कृष्ण कुमार कीअध्यक्षता में पिछले पांच दिनों से चल रहे महाविद्यालय का स्थापना दिवस सह पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जयंती समारोह का समापन समारोह पूर्वक किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह, पूर्व मंत्री प्रमोद कुमार, डीन डा कृष्ण कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर संबोधित करते हुए पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि विकास प्रक्रिया में प्राकृतिक संसाधनों का ‘विवेकपूर्ण दोहन’ गांधी जी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चिंतन में है, गांधी कहते हैं कि प्रकृति के पास हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बहुत कुछ है, लेकिन मनुष्य के लालच की पूर्ति के लिए बहुत कम है। पं. दीनदयाल की चेतावनी है कि प्रकृति के विनाश से प्राप्त विकास सबके विनाश का कारण बन सकता है। दोनों के अंदर सामाजिक-आर्थिक तौर पर वंचितों एवं दलितों के प्रति गहरी संवेदना है। दोनों हमारे ऐसे समाज बंधुओं के लिए ‘संपूर्ण अवसर’ के प्रखर हिमायती ‘रहे। गांधी ने दुविधा होने की स्थिति में सबसे गरीब और दुर्बल व्यक्ति का चेहरा याद करने का मंत्र दिया। पं दीनदयाल का ‘अंत्योदय’ मंत्र गांधी के ‘अंतिम जन’ अर्थात समाज के ‘अंतिम पंक्ति’ के ‘अंतिम व्यक्ति’ को समाज की मुख्यधारा के साथ जोड़ने का तरुणोपाय है। वर्तमान में सत्तावादी राजनीति के चकाचौंध के अनर्थकारी दौर में विचार, सिद्धांत, दर्शन और आदर्श पीछे छूट रहे है। सार्वजनिक जीवन में सक्रिय लोगों के चरित्र एवं आचरण की शुचिता पर गांधी और दीनदयाल ने विशेष बल दिया है। गांधीजी ने सामाजिक जीवन के जिस “सात अभिशाप की मीमांसा की है, उसमें ‘सिद्धांतहीन ‘राजनीति’ का पहला नंबर है। गांधी इसे ‘सामाजिक पाप’ की संज्ञा देते हैं। पं दीनदयाल का मत भी यही है। वह लिखते हैं- ‘दलों को अपने लिए एक दर्शन, सिद्धांत एवं आदशों के क्रमिक विकास के प्रयत्न करने चाहिए। तात्कालिक लाभ के लिए दल सिद्धांतों का बलिदान न करें इस दिशा में सतर्क रहना चाहिए, प्रत्येक राजनीतिक दल के लिए यह एक ऐसी सीख है जिसका पालन करते हुए ही वे देश सेवा के सच्चे एवं समर्थ उपकरण बन सकते हैं। इस अवसर पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवनी पर व्याख्यान, लघुनाटिका, काब्य गोष्ठी, बालिकाओं द्वारा समूह नृत्य, संगीत, के पश्चात प्रतिभागियों के बीच पुरस्कार का वितरण किया गया। इससे पहले सांसद श्री सिंह, विधायक प्रमोद कुमार, श्यामबाबू यादव, एसएसबी कमांडेंट प्रफुल्ल पटेल ने महाविद्यालय परिसर स्थापित पं. उपाध्याय के प्रतिमा पुष्पांजलि अर्पित की। तथा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की मौके पर मुख्य रूप से डा पीएन सिंह, वैज्ञानिक आरबी शर्मा, डा एपी राकेश, आरपी प्रसाद सहित सैकड़ों गणमान्य लोग, महाविद्यालय के कर्मी व छात्र छात्राएं मौजूद थे।

 

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