बिहार दिवस की पूर्व संध्या पर मोतिहारी जिला प्रशासन के तत्वावधान में जिला परिषद के सभागार में एक टॉक शो का आयोजन

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पूर्वी चम्पारण प्रतिनिधि तिरहुत ब्यूरो अरबिंद कुमार।(मालंच नई सुबह)बिहार दिवस की पूर्व संध्या पर मोतिहारी जिला प्रशासन के तत्वावधान में जिला परिषद के सभागार में एक टॉक शो का आयोजन किया गया जिसमे विभिन्न वक्ताओं ने “बिहार का स्वर्णिम इतिहास ,वर्तमान की चुनौतियां तथा भविष्य की संभावनाएं”विषय पर गंभीर विमर्श प्रस्तुत कर उपस्थित श्रोताओं का दिल जीत लिया।
टॉक शो के प्रथम वक्ता शिक्षाविद जनाब अबू नसर निहालुद्दीन ने जहां “जल,जीवन हरियाली के संदर्भ में बिहार राज्य को समृद्ध बतलाया,वही उन्होंने इनके संरक्षण के विषय में भी लोगों को जाग्रत करने का आह्वान किया।शो के दूसरे वक्ता महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के हिंदी भाषा के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.अंजनी कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि जल ही जीवन है अतः इसका संरक्षण अति आवश्यक है।उन्होंने विश्व का प्रथम चिकित्सालय कुम्हरार(पटना)में होने की बात कही। सन 1857 ई.के महान गदर के परिप्रेक्ष्य में उन्होंने अंग्रेजों के दांत खट्टे करनेवाले अमर वीर कुंवरसिंह और फतेह बहादुर के पराक्रम को भी गहरे तक रेखांकित कर बिहार के गौरव से लोगों को परिचित कराया। टॉक शो की तीसरी वक्ता सुप्रसिद्ध चिकित्सक और वाणी वैभव की धनी डॉ. हिना चंद्रा थीं जिन्होंने अपनी ओजमयी वाणी द्वारा बिहार में महिला स्वास्थ्य पर अपना विमर्श प्रस्तुत करते हुए कहा कि आज की 21वीं सदी के इस दौर में भ्रूण हत्या होते रहना एक दुखद सचाई है जिसका हमें प्रतिकार करना ही होगा।उन्होंने कहा कि जीवन की सभी दिशाओं में बिहारी लड़कियों ने अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है।चौथे वक्ता महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ.अनिल प्रताप गिरि ने अपनी विद्वत परंपरा के लिए सुविख्यात मिथिला के माहात्म्य का परिचय देते हुए वहां के विद्वानों द्वारा न्याय दर्शन के क्षेत्र में किए गए अप्रतिम कार्यों की चर्चा करते हुए कहा कि संस्कृत सर्वाधिक वैज्ञानिक भाषा है।यह तकनीक फ्रेंडली भाषा है।उन्होंने प्रसिद्ध बिहार गीत का अपने द्वारा किए गए काव्यानुवाद को भी श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत कर तालियां बटोरीं और फिर उसे जिलाधिकारी महोदय को भेंट किया।
टॉक शो के पांचवे वक्ता मुंशी सिंह महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.(डॉ.)अरुण कुमार ने बिहार राज्य के साहित्यिक सांस्कृतिक वैभव को उद्घाटित करते हुए विद्यापति,सिद्ध साहित्य में बिहार का योगदान,सरभंग संप्रदाय,आचार्य शिवपूजन सहाय,राष्ट्रकवि दिनकर, आचार्य नलिन विलोचन शर्मा और उर्दू साहित्य के अजीमाबाद केंद्र की चर्चा करते हुए प्रसिद्ध शायर शाद अजीमाबादी के साहित्यिक योगदान को रेखांकित किया।संगीत के क्षेत्र में बिहार के अनुपम योगदान की चर्चा करते हुए उन्होंने दरभंगा के प्रसिद्ध ध्रुपद घराने”अमता घराना और बेतिया के मलिक घराने को गहरे तक रेखांकित किया।उन्होंने प्रसिद्ध भोजपुरी कवि और नाटककार भिखारी ठाकुर और महेंदर मिसिर के योगदान की चर्चा करते हुए बिहार के प्रसिद्ध लोकनृत्य झिझिया,सामा चकेबा और थारूओं के लोकनृत्य झमटा की बाबत भी लोगों को बतलाया।बिहार के मिथिलांचल की स्त्री रत्नों की चर्चा करते हुए उन्होंने सीता,उर्मिला,परशुराम की पत्नी लोमहर्षिणी,अगस्त्य की पत्नी लोपामुद्रा,हरिश्चंद्र की पत्नी तारामती,गौतम की पत्नी अहल्या, मंडन भारती,गार्गी, मैत्रेयी और वैशाली की अप्रतिम सुंदरी आम्रपाली की गहन चर्चा की।हिंदी सिनेमा में बिहार के योगदान को उन्होंने प्रसिद्ध अभिनेता तिवारी,शत्रुघ्न सिन्हा,प्रकाश झा,मनोज वाजपेयी और पंकज त्रिपाठी के माध्यम से व्यक्त किया।उन्होंने बिहार की पावन संस्कृति को शिव, शाक्त और वैष्णव का अद्भुत समन्वय बतलाया।
अंत में टॉक शो की अध्यक्षता कर रहे पूर्वी चंपारण के जिलाधिकारी शीर्षत कपिल अशोक ने अध्यक्षीय व्याख्यान देते हुए कहा कि इतिहास को हमें पढ़ना चाहिए और उसे सकारात्मक दृष्टि से समझा जाना चाहिए।उन्होंने कहा कि बिहार राज्य संसाधनों से समृद्ध है।यहां की मिट्टी अत्यंत उपजाऊ है और जल भंडार भी यहां अत्यंत समृद्ध है।परंतु बाढ़ जैसी आपदा के कारण यहां चुनौतियां भी हैं जिसके लिए हमें तत्पर और तैयार रहना होगा।यहां का मानव संसाधन देश की बहुत बेशकीमती संपदा है। हमें युवाओं को कौशल के क्षेत्र में प्रवीण करना होगा।कुशल युवा कार्यक्रम और कृषि कार्यक्रमों को आगे बढाना होगा और ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देना होगा।उन्होंने कोविड के भयानक दौर की चर्चा करते हुए कहा कि उस त्रासद काल में बिहार में जो कम से कम क्षति हुई उसके मूल में बिहारियों का उत्तम खान पान और उनकी प्रतिरोधक क्षमता की मैं प्रशंसा करता हूं।उन्होंने कहा कि हमें जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना ही होगा।इसके लिए महिलाओं की शिक्षा महत्वपूर्ण कंपोनेंट है।अंत में उन्होंने इस अत्यंत सफल कार्यक्रम के आयोजन हेतु समस्त विद्वानों,पदाधिकारियों और उपस्थित श्रोताओं के लिए धन्यवाद अर्पित किया।कार्यक्रम को सफल बनाने में जिला प्रशासन के पदाधिकारियों,पी.जी.आर. ओ. सिकरहना संजय कुमार,प्रशिक्षु वरीय उप समाहर्ता मोनू कुमार,प्रशिक्षु आर. डी. ओ रोबिन कुमार और ए. डी.सी.पी. शिवेंद्र कुमार की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही।कुल मिलाकर गुणवत्ता की दृष्टि से जिला प्रशासन द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम बिहार वैभव की दृष्टि से अत्यंत आकर्षक और ज्ञानवर्धक रहा जिसका आस्वादन दर्शकों और श्रोताओं ने किया।

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