मालंच नई सुबह

सच हार नही सकता

साहित्य

दैनिक जीवन में हिंदी के अधिकाधिक प्रयोग के संकल्प के साथ बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन का दो दिवसीय 41वां महाधिवेशन का शुभारंभ हुआ

पटना /प्रतिनिधि(मालंच नयी सुबह ) पटना I साहित्य को जन-जन तक पहुंचाने और हिंदी को लोकप्रिय बनाने के लिए जन-जागरूकता और दैनिक जीवन में हिंदी के अधिकाधिक  प्रयोग के संकल्प के साथ बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन का दो दिवसीय 41वां महाधिवेशन का शुभारंभ हुआ I प्रसिद्ध चिंतक डॉ वेद प्रताप वैदिक, पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल, प्रयाग हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष प्रोफेसर सूर्य प्रसाद दीक्षित, न्यायमूर्ति संजय कुमार और सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ ने समवेत रूप से दीप प्रज्वलित कर महाधिवेशन का शुभारंभ किया I

देशभर से पधारे कवि साहित्यकार लेखक और रचनाकारों को संबोधित करते हुए डॉ वेद प्रताप वैदिक ने कहा कि जिस दिन हमारे बच्चें डॉक्टर- इंजीनियर नहीं इतिहासकार और साहित्यकार बनने की सोचने लगे और प्रेरणा लें वह दिन असली आजादी का दिन होगा इसकी शुरुआत हम सबको एक संकल्प के साथ करनी होगी I

पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल ने कहा कि बिहार की धरती ऊर्जावान रही है और यहां की जीवंतता देखते बनती है I उन्होंने कहा कि हमें हिंदी के साहित्यकारों-रचनाकारों को जन-जन से जोड़ने के लिए विभूतियों के जन्म स्थान पर उत्सव और कार्यक्रम आयोजित होने चाहिए I साथ ही नई पीढ़ी को साहित्य से जोड़ने के लिए उनकी सक्रिय भागीदारी इस अभियान में दिखनी चाहिए

अनिल शर्मा जोशी ने कहा कि यह हर्ष का विषय है कि आजादी की अमृत महोत्सव वर्ष में इंजीनियरिंग और व्यवसायिक पाठ्यक्रमों की पढ़ाई अब हिंदी में शुरू हो चुकी है

स्वागताध्यक्ष पूर्व राजसभा सदस्य आर के सिन्हा ने देश भर से आए साहित्यकारों का स्वागत करते हुए कहा कि 41वें महाधिवेशन के अवसर पर हमने देशभर के शीर्ष साहित्यकारों,कवियों, लेखकों, चिंतकों को एकत्रित कर विमर्श करने का प्रयास किया है कि किस तरह से हम हिंदी की अधिक से अधिक सेवा कर सकते हैं I

बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉक्टर अनिल सुलभ ने कहा कि राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन की केंद्रीय भूमिका रही I उन दिनों सम्मेलन के तमाम पदाधिकारी स्वतंत्रता सेनानी थे I उन्होंने कहा कि हिंदी को अभिलंब राष्ट्रभाषा घोषित किया जाना चाहिए I इस अवसर पर वेद प्रताप वैदिक संजय करोल और प्रोफेसर सूर्य प्रसाद दीक्षित को वाचस्पति एवं न्यायमूर्ति संजय कुमार डॉ अनिल शर्मा जोशी और पंडित विभूति मिश्रा को विद्या वारिधि उपाधि से सम्मानित किया गया I

इस मौके पर बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा प्रकाशित ग्रंथ बिहार की साहित्यिक प्रगति, भारत की 100 विदुषियाँ,  सम्मेलन पत्रिका का महाधिवेशन विशेषांक तथा डॉ कल्याणी कुसुम सिंह की पुस्तक अंतर्मन की आहट और डॉ मनोज कुमार द्वारा संपादित भारती मंदिर का नैवेद्य पुस्तक का लोकार्पण किया गया I

दिल्ली की नृत्यांगना अनु सिन्हा ने गणेश वंदना और देवी वंदना प्रस्तुत किए I संचालन डॉ शंकर प्रसाद ने किया

इस अवसर पर न्यायमूर्ति संजय कुमार डॉ शंकर प्रसाद ने संचालन किया बुद्धिनाथ झा, निलोत्पल, डॉ. राघवन, शुभम पांडे नृपेंद्र नाथ गुप्त कुमार अनुपम सुरेश शर्मा शालिनी पांडे मौजूद थे I

उद्घाटन सत्र के पश्चात प्रथम वैचारिक सत्र में भारत के स्वतंत्रता संग्राम में बिहार के साहित्यकारों का अवदान पर चर्चा हुई I  अध्यक्षता करते हुए हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कहा स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत 1917 में बिहार के चंपारण से हुई थी और बिहार के तमाम साहित्यकार जिनमें रामधारी सिंह दिनकर  गोपाल सिंह नेपाली, प्रफुल्ल चंद्र झा मुक्त, राजा राधिका रमण प्रसाद सिंह  रामलोचन शरण, रामअवतार शर्मा, राम इकबाल सिंह  राकेश, जयप्रकाश नारायण, जगदीश चंद्र माथुर, केदारनाथ मिश्र प्रभात, अनूप लाल मंडल आदि बहुत सारे साहित्यकार शामिल थे

इस सत्र को डॉ मंगला रानी  डॉ उपेंद्र नाथ पांडे, पंडित सुरेश नीरव, डॉ सुधांशु पांडे, नृपेंद्र नाथ गुप्त डॉ मधु वर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए |

द्वितीय वैचारिक सत्र में फणीश्वर नाथ रेणु के रिपोर्ताज पर बोलते हुए लेखक- पत्रकार डॉ ध्रुव कुमार ने कहा कि रेणु रिपोर्ताज विधा को एक बहुआयामी स्वरूप प्रदान करते हैं इस विधा का हिंदी में प्रारंभ करने के साथ ही वे इसका चरमोत्कर्ष भी करते हैं । उनके रिपोर्ताज संग्रह ऋणजल -धनजल की भूमिका में रघुवीर सहाय ने लिखा -” वह जैसा सोचते थे, वैसा बोलते थे और जैसा बोलते थे, वैसा लिखते थे और फिर जब उसको पढ़ो तो लगता था कि रेणु बोल रहे हैं I

सत्र की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ सम्पादक सुरेश शर्मा ने कहा कि रेणु जी की रचनाओं में गांव-अंचल का जीवन और सामाजिक मनोविज्ञान विस्तृत रूप से मौजूद है I

इस सत्र में पीलीभीत उत्तर प्रदेश के डॉ प्रणव शास्त्री, रांची, झारखण्ड के डॉ जंग बहादुर पांडेय, डॉ सुमेधा पाठक, डॉ सीमा रानी, डॉ कल्याणी कुसुम सिंह, अर्चना त्रिपाठी ने अपने विचार व्यक्त किए I

वरिष्ठ कवि और बिहार राज्य गीत के रचयिता सत्यनारायण की अध्यक्षता में अखिल भारतीय गीत गोष्ठी आयोजित हुई I

बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ ने कवियों को पुष्पगुच्छ संरक्षण प्रदान कर उनका स्वागत-अभिनंदन किया I

नीलोत्पल मृणाल ने गांव और किसान को अपने गीत में पिरोते हुए ” मुट्ठी भर लेकर हम जमीन चल देंगे एक दिन आसमान में मेरे पाँव निशान खोजेंगे तुम एक दिन खलिहान में ” सुना कर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया I

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