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साहित्य

कुंडली मिलान- वहम या अंधविश्वास?

 प्रेमलता सिंह, पटना 

आधुनिक युग मैं लोग जैसे -जैसे शिक्षित हो रहे हैं , अंधविश्वास कम होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है। ज्यादातर लोग अपने बेटा और बेटी की शादी में कुंडली मिलान करने के लिए पंडित जी को बुलाते हैं।

आधुनिक युग मैं लोग जैसे -जैसे शिक्षित हो रहे हैं , अंधविश्वास कम होने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है। ज्यादातर लोग अपने बेटा और बेटी की शादी में कुंडली मिलान करने के लिए पंडित जी को बुलाते हैं।

आजकल के लोग कुंडली मिलान करके 36 गुण मिलाकर शादी करते हैं। फिर भी शादी ज्यादा दिनों तक  बमुश्किल ही  चलता है । या यूं कहिए कि आज की शादी बहुत कम ही चल रही है। पहले के लोग बिना कुंडली मिलान के शादी करते थे और शादी की उम्र लंबी होती थी।

अब सवाल यह उठता है कि जो लव मैरिज करते हैं या घर से भाग कर शादी करते हैं या कोर्ट मैरिज करते हैं या जिनकी पत्नी मर चुकी है या पति मर चुके हैं वह दूसरा शादी करते हैं बीना कुंडली मिलान के इनका शादी कैसे ठीक होगा?

मुझे लगता है यह जो कुंडली मिलान 36 गुण मिलाना यह सब कमाई का जरिया है । कोई कुंडली देखकर यह बोलता है लड़का मांगलिक है तो शादी के कुछ दिन बाद लड़की विधवा हो जाएगी ।कभी बोलते हैं कालसर्प योग हैं ।इस तरह से घर के लोग घबराकर समाधान पूछते हैं तो पंडित जी बोलते पूजा पाठ कराओ तंत्र मंत्र कराओ और उनसे वह मनमानी पैसा वसूली करते हैं। लोग डर के मारे पैसा भी देते हैं। मुझे लगता है यह सिर्फ बिजनेस है लोगों को “डराओ और पैसा कमाओ”।

जिस पंडित जी की दो-दो शादियां टूट चुकी है । वो क्या खाक दूसरे के रिश्ते और अटूट करवाएंगे ? प्रश्न यह भी उठता है  कि पंडित जी बोलते हैं कुंडली मिलाने से आपके बेटा बेटी बड़े घर ही चलें जाऐगे और सुखी संपन्न रहेंगे। जो लोग लव मैरिज या कोर्ट मैरिज या मंदिर में शादी कर लेते है ,वो भी बिना कुंडली मिलान के हैं इनकी शादी राजी खुशी अनरवत चलते रहता है ।आजकल पैसा कमाने के लिए पंडित जी कुंडली मिलान का धंधा और कुछ लोग मैरिज ब्यूरो चलाते हैं ताकि इनका पेट भर सके । ऐसा धंधा में मेहनत न के बराबर और कमाई ज्यादा होती है।

आज के आधुनिक युग में जब बेटा- बेटी को समान दर्जा प्राप्त है । दोनों समान शिक्षा या परवरिश पा रहे हैं। हम मां-बाप ऊंची उड़ान भरने को सिखाते हैं ।फिर ये दकियानूसी चीजों में क्यूं उलझे हुए हैं??

आजकल मां-बाप को चाहिए कि अपने बेटा और बेटी  दोनों को रिश्तो की अहमियत समझाएं ,रिश्तो में झुकना सिखाएं, हमेशा जमीन से जुड़ा हुआ रहना सिखाएं । ताकि अपने रिश्ते की बागडोर को अच्छी तरह से संभाल सके ,अपने रिश्तो में मिठास भर सकें।

हर व्यक्ति का आत्मसामान जरूरी हो या है पर मां-बाप ये भी सीखाये कि अपने से बड़े के आगे झुकने में कोई आत्मसामान कम नहीं होता है ।संयुक्त परिवार में रहने के फायदे बताएं। एकल परिवार की कमियां बताएं । एकल परिवार के प्रचलन ही रिश्तों में दरार के कारण बन रहे हैं । आजकल लोग आजाद रहना चाहते हैं। नैतिकता और सामाजिक ज्ञान से दूर होते जा रहे हैं। पहले लोग कहा करते थे कि आंखों में शर्म रखने से रिश्ते में मजबूती बनी रहती है।

बातें कड़वा है लेकिन सच है ।हमें लगता है इस विषय पर हर मां-बाप को सोचना चाहिए ।ताकि कुंडली मिलान के चक्कर में अपने बच्चों की उम्र ना बढ़ाकर ,सही समय पर उसकी शादी कर सके और घर में प्रेम बनी रहे ,रिश्तो में मजबूती हो।

परिवार के सभी सदस्य एक दूसरे की खुशी का ध्यान रखें। इस तरह से एक  स्वस्थ्य परिवार से, स्वस्थ समाज और स्वस्थ समाज से स्वस्थ देश का निर्माण हो सकता है।

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