दीपावली की लिस्ट
दीपावली की लिस्ट डॉक्टर पुष्पा जमुआर “रागिनी दीपावली की सफाई में व्यस्त थी ।वह झाड़न लेकर एक-एक चीज से धुल झाड़ रही थी ।मानो जितनी भी दरिद्रता है रागिनी के झाड़न से भाग जएगी। भले हीं उसके पास पैसे की…
यायावरी साहित्यकार थे भारत यायावर : सिद्धेश्वर
पटना डेस्क (मालंच नई पटना :14/10/2021!” यायावरी साहित्यकार थे भारत यायावर जो आज हमारे बीच नहीं रहे ! निश्चित तौर परहिंदी साहित्य की अपूरणीय क्षति,हुई है ! सचमुच वे खोजी साहित्यकार थे l भारत यायावर को खासकर रेणु जी तथा…
लघुकथा की व्यथा
डाॅ पुष्पा जमुआर, पटना, “कथा साहित्य सबसे प्रचीन विधा है ।हिन्दी साहित्य में कथा साहित्य मानव सभ्यता के आदिम काल से ही है ।परन्तु लघुकथा का अस्तित्व वैदिक काल से ही माना जाता रहा है ।हालांकि वैदिक काल की पौराणिक…
सपनों का कर्ज़दार मुखर्जी नगर
प्रियांशु त्रिपाठी किचन से भी छोटे कमरे में जिस्म तपाते हुए, बिस्तर की सीमा से पैर बाहर किये, एन.सी.आर.टी को तकिये के सिरहाने किटाये हुए कुछ परिंदें बड़ी उड़ान के सपने सजाते है, उस जगह को आम भाषा में मुखर्जी…
बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के 103वां स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर भाग लेने के उपरांत केन्द्रीय मंत्री अश्विनी चौवे ने पत्रकारों से बातचीत की
पटना/प्रतिनिधि(मालंच नई सूबा)19 अक्टूबर बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के 10३ वां स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर भाग लेने के उपरांत केन्द्रीय मंत्री अश्विनी चौवे ने पत्रकारों से बातचीत में कश्मीर में घट रहे घटनाओ…
बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के 103 वां स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर पूनम आनंद के पुस्तक का हुआ लोकार्पण,सम्मानित हुए साहित्यकार
पटना/प्रतिनिधि(मालंच नई सूबा)19 अक्टूबर बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन का गौरवशाली 103 वां स्थापना दिवस समारोह सम्मेलन परिसर में आयोजित हुआ। जिसमें मूल्यवान हिंदी सेवा के लिए विदूशियों एवं विद्वानों को साहित्य चूड़ामणि एवं साहित्य मार्तंडेय सम्मान से विभूषित किया गया।…
कोर्ट रूम नं 9
—–प्रियांशु त्रिपाठी हर सुबह एक सी होती है मगर दिन एक जैसा ही नहीं गुज़रता है और आज का दिन कुछ हट कर ही रहा हमारे लिए । मैं, तोशवंत और अरविंद रोज़ाना की तरह द्वारका कोर्ट में अपने काम…
सबका मालिक एक
सबका मालिक एक –ऋचा वर्मा मैं कभी राम बनता, कभी बनता रहमान, कभी खुदा कह पुकार लो, कभी कृष्ण का दे दो नाम । ऊपर से सब आतें हैं बन के बस मानव, धरती पर अपने कुकर्मों से कहलातें हैं…
-सुनी आँखें
—डॉ पुष्पा जमुआर-पटना जाने कहाँ गुम हो गये रेशमी रास्ते? जिस पर चल कर बचपन का दिन गुजारा ! जाने कहाँ गुम हो गई? रेशमी रास्ते जिस पर दौड़ती रही जवानी कीबाँहें••••• जाने कहाँ गुम हो गई वो रेशमी रास्ते…
वह सम्मान करती है
——-डा.सीमा रानी वह सम्मान करती है आत्म सम्मान रखती है हर बात मान नहीं लेती मान रखती है फर्क पता है उसे सही गलत में तभी तो फंस जाती है कांटा बनके हलक में उसे सूझता है साफ-साफ किधर है…