मां को बेचनी पड़ी इडली, चंद्रयान 3 का हिस्सा बनकर आज रच दिया इतिहास
भिलाई /प्रतिनिधि(मलंच नई सुबह)भिलाई। चांद की धरती को छूते ही चंद्रयान-3 ने 140 करोड़ देशवासियों का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया. बच्चा बच्चा चंद्रयान 3 की कामयाबी के कसीदे पढ़ रहा है. कहीं भारत माता के जयकारे लग रहे हैं तो कहीं कौमी तराने खुशी बयान कर रहे हैं. खुशी और उत्साह भिलाई में भी है, मगर बाकी जगहों से दोगुना. ऐसा हो भी क्यों न, भिलाई का लाल जो इसमें शामिल रहा. परिवार के पास एक समय स्कूल फीस भरने तक के पैसे नहीं थे, लेकिन गुदड़ी के लाल ने हिम्मत नहीं हारी. मां के साथ मिलकर इडली और चाय की टपरी चलाई, लेकिन अपने सपनों पर कभी ग्रहण नहीं लगने दिया. हौसला देख मदद को हाथ बढ़े और इसी गुदड़ी के लाल की कामयाबी आज चांद तक पहुंच गई.
भिलाई (दुर्ग) के चरौदा कस्बे में के चंद्रमौलि का परिवार रहता है. चंद्रमौलि बैंक में सुरक्षा गार्ड हैं. उन्हीं का बेटा है के भरत कुमार. बचपन से ही भरत पढ़ने में तेज थे. बिना नागा किए स्कूल जाना, देर रात तक जागकर और सुबह जल्दी उठकर पढ़ना उनकी आदत थी. भरत चांद की सतह पर चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग कराने वाली इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) की टीम का हिस्सा हैं.
बचपन से ही भरत पढ़ने में तेज था. चाहे बारिश हो या ठंडी, स्कूल जाने में कभी नागा नहीं करता था. बाकी बच्चों की तरह पढ़ने के लिए घरवालों को कभी कहना नहीं पड़ता था. उल्टा देर रात तक पढ़ने से मना करने के लिए कई बार डांटना पड़ता था. लेकिन कभी सोचा नहीं था कि वह इतनी ऊपर तक जाएगा. -के चंद्रमौलि, भरत के पिता
आसान नहीं था सपनों के पूरा होने का सफर :।।
भरत बचपन से ही काफी होनहार थे. लेकिन गाहे बगाहे घर की आर्थिक स्थिति चुनौती देती. इससे निबटने के लिए भरत की मां के मैती ईश्वर ने चरौदा में एक टपरी पर इडली और चाय बेचने का काम शुरू किया. चरौदा में रेलवे का कोयला उतरता और चढ़ता है. कोयले की इसी काली गर्द के बीच भरत अपनी मां के साथ लोगों को चाय देकर, प्लेट्स धोकर परिवार की चलने के साथ अपनी पढ़ाई के लिए मेहनत करता. भरत की स्कूली पढ़ाई केंद्रीय विद्यालय चरौदा में होने लगी. जब भरत नौवीं में था, फीस की दिक्कत से टीसी कटवाने की नौबत आ गई, लेकिन स्कूल ने फीस माफ कर दी. वहीं शिक्षकों ने कॉपी किताब का खर्च उठाया.
*लोगों का मिला साथ तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा
भरत।उसने ने 12वीं मेरिट के साथ पास की और उसका आईआईटी धनबाद के लिए चयन हुआ. फिर आर्थिक समस्या आड़े आई तो रायपुर के उद्यमी अरुण बाग और जिंदल ग्रुप ने भरत का सहयोग किया. यहां भी भरत ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. 98 प्रतिशत के साथ आईआईटी धनबाद में गोल्ड मेडल हासिल किया. जब भरत इंजीनियरिंग के 7वें सेमेस्टर में था तब इसरो ने वहां से अकेले भरत का कैंपस प्लेसमेंट में चयन किया. आज महज 23 साल का भरत इस चंद्रयान-3 मिशन का हिस्सा है.