मालंच नई सुबह

सच हार नही सकता

साहित्य

-सुनी आँखें

—डॉ पुष्पा जमुआर-पटना

जाने कहाँ गुम हो गये

रेशमी रास्ते?

जिस पर चल कर

बचपन का दिन गुजारा !

जाने कहाँ गुम हो गई?

रेशमी रास्ते जिस पर

दौड़ती रही जवानी कीबाँहें•••••

जाने कहाँ गुम हो गई

वो रेशमी रास्ते

जहाँ से माँ-पिता ने

रोती आँखों से बिदाई दी थी खोंईछां भर कर आपन सारा प्यार •••••••!

जाने कहाँ गुम हो गया

वो रेशमी रास्ते!

जिस पर दौड़ती नित नए

सखी-सहेलियों की अठखेलियाँ••••!!

आज सुनी,गुमसुम आँखेंढ़ूँढ़ती है

फिर से वो रेशमी रास्ते

दहलीज की अंदर से कहाँ गुम गया?

वो रेशमी रास्ते

आज भी खोजती है

सुनी आँखें।।

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