दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय के विधि विभाग की विधिक सहायता केंद्र के तत्वधान में महिला समानता दिवस पर दो दिवसीय महिला एवं विधिक सहायता केंद्र के माध्यम से न्याय विषय पर राष्ट्रीय कॉन्फ्रेन्स का आयोजन किया गया। सीयूएसबी के कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने कानूनी सहायता के माध्यम से समाज के कल्याण के लिए निभाई जा रही अहम भूमिका पर प्रकाश डाला। समाज में महिलाओं की सहायता के लिए एक संवैधानिक ढांचा के परिणाम स्वरूप सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त होने पर चर्चा की। प्रो. (डॉ) पवन कुमार मिश्रा प्रमुख और डीन, विधि विभाग ने कहा कि न्याय उचित और न्यायसंगत होना चाहिए। विधि विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रदीप कुमार दास बताया कि समाज में महिलाओं की सुरक्षा और विकास किस प्रकार महत्वपूर्ण है। महिलाओं के खिलाफ हिंसा का पूरे विश्व में दिन प्रतिदिन बढ़ने से महिलाओं के विकास पर दिख रहे असर को उजागर किया। उन्होंने कहा कि बिना महिलाओं के कल्याण किए विश्व के कल्याण की कोई संभावना नहीं है। तकनीकी सत्र में प्रो. मोना पुरोहित, प्रमुख एवं डीन, विधि विभाग, बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल ने महिला, पुरुष, एलजीबीटीक्यू समुदाय के अंतर से अवगत कराया। उन्होंने न सिर्फ पर्दा प्रथा, सती प्रथा, बहुविवाह जैसी महिलाओं की जिंदगी में आने वाली बाधाओं और आर्थिक और राजनीतिक बाधाओं के बारे में भी बात की, बल्कि उन्होंने समकालीन समाज में महिलाओं की स्थिति जानवरों से भी बदतर होने के कारण से रूबरू कराया। वहीं विधि विभाग के प्रो.(डॉ)संजय प्रकाश श्रीवास्तव ने रोजगार और भारत में महिलाओं की स्थिति और कानूनी सहायता पर अपनी बातें रखीं।सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अरविंद गुप्ता ने कानूनी सेवा प्राधिकरण के कामकाज में चुनौतियां विषय पर कहा कि विधिक सेवा प्राधिकरण का मुख्य उद्देश्य समान न्याय प्राप्त करने के लिए गरीब और जरूरतमंद लोगों की सेवा करना है। डॉ. शेवली कुमार एसोसिएट प्रोफेसर, टीआईएसएस, मुंबई ने दलित और मुस्लिम महिला समानता और अधिकार विषय बातें रखीं। उन्होंने भारतीय संविधान और अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 के आधार पर समानता या वास्तविक समानता की समानता के बारे में चर्चा की। महिलाओं पर हो रहे दुराचार एवं विधिक जागरूकता के बीच की दूरी पर प्रकाश डाला।
कॉन्फ्रेन्स के दूसरे दिन विधि विभाग की सहायक प्रोफेसर श्रीमती पुनम कुमारी द्वारा विषय का संक्षिप्त परिचय दिया गया जिसमे उन्होंने बताया कि यह कानूनी सहायता पुरुषों और महिलाओं के बीच इस सामाजिक अंतर को कम करने के प्रभावी कदमों में से एक है।स्वागत भाषण में विधि विभाग के प्रो.(डॉ)संजय प्रकाश श्रीवास्तव ने सब का औपचारिक रूप से स्वागत करते किया और इस विषय पर बात रखी कि विधिक सहायता केंद्र आभासी समाज में भी समाज को साइबर खतरे से बचाने के लिए समाज की सेवा कैसे करेगा । प्रो. (डॉ) विजय राघवन (मुंबई कैंपस, टीआईएसएस) ने “आपराधिक न्याय प्रणाली में महिलाओं की भूमिका” पर परिचर्चा की । जिसमें उनका वक्तव्य आपराधिक न्याय प्रणाली में महिलाओं के दो प्रभागों की भूमिका पर केन्द्रित रहा कि कैसे वो एक अपराधी के रूप में भी नज़र आती हैं, वहीं दूजी ओर उन्हें व्यावसायिक शोषण के शिकार के रूप में भी बचाया जाता है। वहीं “महिला समानता- पाठ और संदर्भ” विषय पर प्रो. (डॉ.) बिभा त्रिपाठी (विधि संकाय, बीएचयू) द्वारा विस्तृत वर्णन किया गया । उन्होंने कहा कि समानता की धारणा की पीढ़ियों के कारण आज के समाज में महिलाओं के लिए समानता बहुत जटिल है और यदि हम न्याय की गुणवत्ता में सुधार करना चाहते हैं तो हमें विधिक सहायता की उधार व्याख्या करने की आवश्यकता है। प्रो. (डॉ.) पवन कुमार मिश्रा (प्रमुख और डीन, विधि विभाग, सीयूएसबी) ने घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा – कानूनी और न्यायिक प्रतिक्रिया पर एक सुव्यवस्थित व्याख्यान दिया और अपने व्याख्यान का समापन यह कहते हुए किया है कि विश्वविद्यालय स्तर पर कानूनी सहायता क्लिनिक छात्रों को कानूनी राहत को बढ़ावा देने और महिलाओं के बीच उनके न्यूनतम कानूनी घरेलू अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए शिक्षित कर सकता है। डॉ मुकेश कुमार मालवीय, (सहायक प्रोफेसर, बीएचयू) ने “कानूनी सहायता और महिलाओं की भूमिका” विषय पर अपनी बात रखी और कहा कि महिलाओं की भूमिका कानूनी सहायता में और ज़्यादा हो जाती है क्योंकि कानून समाज पर निर्भर है और समाज बहुत हद तक महिलाओं की उन्नति पर निर्भर है और विधिक सहायता केंद्र इन महिलाओं को थोड़ा जागरुक कर दे तो फिर बहुत हद तक महिला आत्मनिर्भर हो सकती है और अपनी कविता से वक्तव्य को समाप्त किया।
धन्यवाद ज्ञापन कॉन्फ्रेन्स के समन्वयक डॉ. देव नारायण सिंह सहायक प्रोफेसर, विधि विभाग द्वारा दिया गया ।
कार्यक्रम में विधि विभाग के प्राध्यापक.डॉ. दिग्विजय सिंह, डॉ. पल्लवी सिंह, डॉ. अनंत प्रकाश नारायण, डॉ. कुमारी नीतू, मौजूद थे। इस कॉन्फ्रेन्स के समन्वयक डॉ. देव नारायण सिंह (सहायक प्रोफेसर, विधि विभाग, सीयूएसबी) एवं सह समन्वयक श्री मणि प्रताप (सहायक प्रोफेसर, विधि विभाग, सीयूएसबी) ने आगे भी इसी तरह के और कार्यक्रम करने का वादा किया जिससे छात्रों को लाभ मिल सके, और समाज को बेहतर करने की ओर विधिक सहायता केंद्र एक सकारात्मक प्रयास कर सके ।