मालंच नई सुबह

सच हार नही सकता

सीमांचल

एल0एन 0मि0वि 0 पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान संस्थान में मनाई गई पुस्तकालय विज्ञान के जनक पद्मश्री डॉ एस आर रंगनाथन की जयंती

एल0एन 0मि0वि 0 पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान संस्थान में मनाई गई पुस्तकालय विज्ञान के जनक पद्मश्री डॉ एस आर रंगनाथन की जयंती

दरभंगा प्रतिनिधि मालंच नई सुबह,     पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान संस्थान,ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में पुस्तकालय विज्ञान के जनक डॉ एस आर रंगनाथन की जयंती मनाई गई, जिसमें निदेशक,छात्र -छात्राओं,शिक्षकों एवं केंद्रीय पुस्तकालय के कर्मियों द्वारा केंद्रीय पुस्तकालय परिसर स्थित डॉ रंगनाथन के प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। तत्पश्चात पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान संस्थान में छात्र छात्राओं ने केक काटकर डॉ रंगनाथन के जन्मदिन को समारोहपूर्वक मनाया। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक सह केंद्रीय पुस्तकालय-प्रभारी प्रोफेसर दमन कुमार झा ने छात्र छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा की डॉ एस आर रंगनाथन गणित के प्राध्यापक थे। पश्चात वे पुस्तकालय विज्ञान के प्रति इतने समर्पित हो गए कि वे पुस्तकालय विज्ञान के जनक कहलाए। उन्होंने पुस्तकालय की उपयोगिता एवं सभी पाठकों तक  पुस्तकें पहुंचे, इस हेतु हमेशा तत्पर रहे । वे कोलन वर्गीकरण तथा क्लासिफाइड केटलाग कोड बनाये । पुस्तकालय विज्ञान के महत्व को बढ़ाने तथा भारत में इसका प्रचार प्रसार करने में डॉ रंगनाथन का सक्रिय योगदान  रहा है। उनकी लगभग 50 से अधिक पुस्तकें तथा लगभग 2,000 से अधिक शोध लेख प्रकाशित हैं। इनकी पुस्तकालय के प्रति समर्पण को देखते हुए भारत सरकार ने इन्हें पद्मश्री से नवाजा है।  आज सम्पूर्ण देश में पुस्तकालय  चेतना उत्पन्न करने का श्रेय एकमात्र डॉ॰ एस आर रंगनाथन  को जाता है।

इस अवसर पर संस्थान के शिक्षक रंजीत कुमार महतो ने कहा कि  डॉ रंगनाथन के बताए रास्ते पर आज विश्वविद्यालय चल रहा है। हम सब आज यहां एकत्रित हैं तो सिर्फ डॉ रंगनाथन द्वारा कही बातें  “प्रत्येक पाठक को उसकी पुस्तक मिले तथा पाठकों का समय का बचत हो” इन दो पहलुओं पर पुस्तकालय प्रभारी प्रोफेसर दमन कुमार झा कार्य कर रहे हैं।
इस अवसर पर रवीश कुमार,आशीष कुमार, शगुफी शहैदा, आइशा नाज़, सन्नी कुमार, प्रणाव कुमार, शरद कुमार सिंह, श्याम सुन्दर चौरसिया आदि ने भी डॉ रंगनाथन के व्यक्तित्व एवं कृतित्व कि चर्चा की। इस अवसर पर प्रीति श्रीवास्तव, शंभू दास,लालबाबू, आदि उपस्थित थे।

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