मालंच नई सुबह

सच हार नही सकता

साहित्य

ग़ज़ल

ग़ज़ल

—— आराधना प्रसाद

कहकशां, जुगनू,सितारे तो सभी जाएंगे

 साथ में तेरे नजारे तो सभी जाएंगे

गर बुरे हों तो बुरे और भले हों तो भले

 साथ आमाल हमारे तो सभी जाएंगे

कोई कितनी भी हिफ़ाज़त करे ख़ुद की लेकिन

अंत में हाथ पसारे तो सभी जाएंगे

तुम ही सोचो कि तुम्हारा भला क्या जाएगा

नाम और काम हमारे तो सभी जाएंगे

इतनी उजलत  न करो  सब्र भी थोड़ा सा करो

नाम लिक्खा है पुकारे तो सभी जाएंगे

तुमने गर प्यार से इन्कार किया जाने मन

दिल के अरमान हमारे तो सभी जाएंगे

पार हो या न हो मल्लाह कह सकता नहीं

पर समुंदर में उतारे तो सभी जाएंगे

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