हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा हो, तभी ‘हिन्दी-दिवस’ की सार्थकता साहित्य सम्मेलन में मनाया गया हिन्दी दिवस समारोह, ‘पुस्तक-चौदस मेला’ में बिकी हज़ारों की पुस्तकें , कल समापन समारोह ।
हिन्दी भारत की राष्ट्रभाषा हो, तभी ‘हिन्दी-दिवस’ की सार्थकता साहित्य सम्मेलन में मनाया गया हिन्दी दिवस समारोह, ‘पुस्तक-चौदस मेला’ में बिकी हज़ारों की पुस्तकें , कल समापन समारोह ।
पटना, १४ सितम्बर। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में आज ‘हिन्दी दिवस समारोह’ बहुत धूमधाम से मनाया गया। पूर्व की भाँति इस वर्ष भी १४ हिन्दी-सेवियों को ‘साहित्य सम्मेलन हिन्दी सेवी सम्मान’ से अलंकृत किया गया। विगत १ सितम्बर से जारी ‘हिन्दी पखवारा एवं पुस्तक चौदस मेला’ में आज ख़ूब बिकी पुस्तकें। एक सांस्कृतिक उत्सव की तरह मनाया गया ‘पुस्तक-चौदस’।
समारोह का उद्घाटन करते हुए, पटना उच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार ने कहा कि, हम स्वतंत्रता का अमृत-महोत्सव मना रहे हैं। प्रसन्नता के इस वर्ष में भी इस बात के लिए हमें दुःख है कि हिन्दी अब तक देश की राष्ट्र भाषा नहीं हो पायी है। यह एक अत्यंत सरस भाषा है। हमारा यह प्रयास होना चाहिए कि हिन्दी का अधिकाधिक प्रयोग हो और देश की राष्ट्र-भाषा भी यह शीघ्र बने। इसलिए भी गंभीरता से विचार और प्रयास करना चाहिए।
समारोह के मुख्य अतिथि प्रो अमरनाथ सिन्हा ने कहा कि, आज संकल्प लेने की आवश्यकता है। संकल्प यह होना चाहिए कि हम हिन्दी का अधिकाधिक प्रयोग करेंगे। किसी भी अन्य भाषा को अपना विरोधी नही माने। हम अंग्रेज़ी को भी सखी मान सकते हैं। किंतु हिन्दी हमारी माँ है। सखियाँ बदल सकते हैं किंतु माँ का कोई विकल्प नहीं हो सकती। हिन्दी अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना स्थान बना चुकी है।
सभा की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कहा कि, यह किसी भी राष्ट्र और समाज के लिए शर्म और चिंत्ता का विषय है कि उसके राजकाज के लिए, उधार ली गई एक विदेशी भाषा से ७५ वर्षों तक काम लिया जा रहा है। यह सिद्ध करता है कि हम अभी भी मानसिक रूप से दास ही हैं, दासता से मुक्त नहीं हुए। हमें यह शीघ्र सुनिश्चित करना होगा कि ‘हिन्दी’ भारत की ‘राष्ट्र-भाषा’ घोषित हो। तभी ‘हिन्दी-दिवस समारोह’ की सार्थकता होगी।
इसके पूर्व सम्मेलन अध्यक्ष ने, पुष्प-हार, वंदन-वस्त्र, प्रशस्ति-पत्र और स्मृति-चिन्ह देकर १४ हिन्दी-सेवियों, डा पुष्पा गुप्ता, डा कमल किशोर चौधरी ‘वियोगी’, डा केकी कृष्ण, बाबा वैद्यनाथ झा, विभा रानी श्रीवास्तव, कविता सहाय, कामेश्वर सिंह ‘कामेश’, गीता सहाय, डा नीतू नवगीत, हेमंत कुमार, सूर्य प्रकाश उपाध्याय, शिव नारायण सिंह, जबीं शम्स और कुमार गौरव अजीतेन्दु को ‘साहित्य सम्मेलन हिन्दी सेवी सम्मान’ से विभूषित किया।
आरंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए, सम्मेलन के विद्वान प्रधानमंत्री और राष्ट्रभाषा परिषद के पूर्व निदेशक डा शिववंश पाण्डेय ने हिन्दी की विशेषताओं के साथ ‘पुस्तक चौदस’ की परिकल्पना को भी सामने रखा। आदरणीय आध्यात्मिक पुरुष स्वामी अगमानंद जी महाराज, दूरदर्शन बिहार के कार्यक्रम प्रमुख डा राज कुमार नाहर, सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा, डा कल्याणी कुसुम सिंह, कुमार अनुपम, डा अर्चना त्रिपाठी, डा नृपेंद्र वर्मा, पुनीता कुमारी श्रीवास्तव, ब्रह्मानन्द पाण्डेय, तथा डा शालिनी पाण्डेय ने भी अपने विचार व्यक्त किए। मंच का संचालन सुनील कुमार दूबे ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिन्हा ने किया।
समारोह में, वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, डा ध्रुव कुमार, डा मेहता नगेंद्र सिंह नेहाल कुमार सिंह ‘निर्मल’ समेत बड़ी संख्या में साहित्यकार और प्रबुद्धजन उपस्थित थे।