मालंच नई सुबह

सच हार नही सकता

साहित्य

वेलेन्टाइन डे

 प्रभात कुमार धवन

 पटना सिटी,

 फरवरी आते ही शहर के युवा वर्ग ने ‘वेलेंटाइन डे’ की तैयारी शुरू कर दी।वे अपने प्रेम के इजहार हेतु उत्सुक थें,साथ ही गत माह अभिभावक से छुपकर व्याह रचाने वाले शैवाल और प्रतिभा की भी चर्चा लोगों की जुवान पर थीं। चौदह फरवरी की पूर्व संध्या पर यह जोड़ा अपने अभिभावक से आशीर्वाद लेने बस्ती में पहुंचा।लोगों में कानाफूसी होने लगी,मगर यह क्या घर की चौखट पर पैर रखने से पूर्व ही उनके परिजन उनपर टूट पड़े।कुछ बस्ती वालों ने भी उनका साथ दिया।मुहल्ले में दोनों की लाश बिछ गयी।

इस हश्र से कुछ समय चारों ओर सन्नाटा छा गया,फिर वही ‘वेलेंटाइन डे’ की धूम।उनकी आत्मा बस्ती के लोगों से चीख -चीखकर पुछ रही थीं ?यदि ऐसी सजा देनी थीं तो यह ‘वेलेंटाइन डे’ का ढोंग क्यों?’वेलेंटाइन डे’ का…।

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