मालंच नई सुबह

सच हार नही सकता

साहित्य

मॉरीशस की यात्रा

पहली कड़ी  सांस्कृतिक झरोखों से

डॉक्टर शंकर प्रसाद
सुप्रसिद्धगायक,कलाकार,प्राध्यापक,बिहार संगीत के पूर्व अध्यक्ष

प्रस्तुत स्तंभ में बिहार में कला संस्कृति की जो स्थिति रही उस पर गहरी दृष्टि डाली गई है।मैं  विद्यार्थी के रूप में सन 1966 में पटना विश्वविद्यालय में आया और 1968 में विश्वविद्यालय की हिंदी में एम एकीपरीक्षा पासकर ली और फिर रांची में उद्घोषक की नौकरी हो गई सन 1969 14 जुलाई। उसके बाद 6 माह बाद में पटना चलाया आकाशवाणी पटना में उद्घोषक हो गया।
यानी 1970 से बिहार की कला संस्कृति का आप कह सकते हैं साक्षी हूं ।55 वर्षों से  साक्षी हूं।।1973 में भारतीय सांस्कृतिक परिषद ने विंधयवासनी देवी का कार्यक्रम मॉरीशस में रखा इस कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मोहन महर्षि थे जो अवकाश पर मॉरीशस गए थे और वहां नाटक विभाग का संचालन कर रहे थे यानी नाटक की क्रांति वहां ला रहे थे। उन्होंने कुछ वर्ष पहले पद्मश्री विंध्यवासिनी देवी से मुलाकात की थी और वादा किया था कि वह उन्हें मॉरीशस में बुलाएंगे।उन्होंने अपना वादा पूरा किया और सन 1973 में नवंबर माह में मॉरीशस की यात्रा विंध्यवासिनी देवी की हुई।इसमें 7 सदस्य थे स्वयं विंध्यवासिनीदेवी उनके पति वर्मा जी उनकी बेटी पुष्पा जी उनकी बहन की बेटी ईराजी शेखर सुमन की बहन और ढोलक वादक जगन्नाथ प्रसाद।
इस तरह से यह ग्रुप 6 आदमियों का तैयार हुआ वहां जाने के लिए परमिशन केवल 7 आदमी को प्राप्त हुआ अब सातवां आदमी कौन हो जो गाए नृत्य करें उद्घोषणा करें इसलिए मेरा चुनाव हुआ क्योंकि बाकी लोग तो परिवार के ही थे।मॉरीशस में उस समय राष्ट्रपति थे सर शिवसागर राम गुलाम जिनकी मूर्ति गांधी मैदान के पास लगी हुई है बड़े ही सज्जन पुरुष और मॉरिशस को अंग्रेजों से और उनकी गुलामी से मुक्त कराने वाले सर शिवसागर रामगुलाम ही थे।
उन्होंने वहां हम सबों का स्वागत किया अपने चेंबर में बुलाकर चाय पिलाई और शाम को जो पहला प्रोग्राम पोर्ट लुइस में हुआ उसमें सामने की कुर्सी पर बैठे और पूरा कार्यक्रम उन्होंने देखा।उन्होंने कार्यक्रम के बीच में अपनी उपस्थिति मंच पर दर्ज की और कहने लगे जिस तरह से मौसी घुंघटवा हटाती हैं वैसे ही हमार भौजी भी करती थी।
हाल तालिया से गूंज उठाबहुत शानदार स्वागत हुआ। मॉरीशस में 7 दिनों तक कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम हुए। इन सात दिनों में रिवरसाइड होटल में हम लोग ठहरे थे वहां से मॉरीशस के विभिन्न शहरों में हम लोगों के कार्यक्रम संपन्न हुए यह जानकर बहुत प्रसन्नता हुई कि वहां शादी विवाह भी मॉरीशस में भारत का झंडा लगाकर होता है वहां जितने भी हिंदू परिवार रहते हैं उन सबके घर के सामने यानी घर के मैदान में मंदिर बना रहता है जहां दीपक जला करता है इसी से पता चलता है कि यह घर हिंदू काघरहै।
यहां से जो मजदूर ग्रांटेड मजदूर गए जो गिरमिटिया मजदूर कहलाए उसमें  अधिकतर छपरा सीवान गोपालगंज हजारीबाग भभुआ सासाराम के लोग थे इसलिए सर शिवसागर राम गुलाम भी छपरा केरहने वाले थे।
भोजपुरिया लोगों ने वहां जाकर आजादी प्राप्त की अंग्रेजों से मुक्ति प्राप्त की और स्वयं शासक बन गए वहां हर  माह में ईखकी खेती होती है ।ईखएक प्रधान उपज है और इस पर मॉरीशस की इकोनॉमी आधारितहै।
मॉरीशस ज्वालामुखी से निकला हुआ द्वीप है इसलिए बहुत सारे ऐसे स्थल हैं जो दुनिया में कहीं नहीं है जैसे वहां सतरंगी धरती है यानी सात रंगों वाली धरती कुछ पौधे ऐसे हैं जो 100 वर्ष में खिलते फूलते हैं वहां के समंदर दुनिया के सबसे सुंदर स्थान में गिने जाते हैं और इसलिए मॉरीशस को मार्कट्विन ने कहा था
ईश्वर ने सबसे पहले मॉरीशस बनाया तब जाकर स्वर्ग बनाया संसार का सबसे खूबसूरत द्वीप अगर कोई है दुनिया में तो वह मॉरीशस है। मॉरीशस में सांप नहीं होते यह एक अद्भुत द्वीप है ज्वालामुखी से निकलाहुआ।
बिहार के किसी ग्रुप का किसी भी कलाकार का यह पहला मौका है जब वह विदेश गए और उसमें पद्मश्री विंध्यवासिनी देवी के साथ जाने का मुझे मौका मिला उस समय कला संस्कृति विभाग का उदय नहीं हुआ था इसलिए भारतीय सांस्कृतिक परिषद नेही सब कुछ संभाल लिया अब आगे देखेंगेकि की किस तरह से कला संस्कृति विभाग का निर्माण हुआ और फिर किस तरह से कला संस्कृति ने अपने आगे चरण बढाए।।

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