माँ चन्द्रघन्टा
–डॉ. राजेश कुमार शर्मा”पुरोहित”
कवि,साहित्यकार,भवानीमंडी,राजस्थान
होकर सिंह पर सवार माँ कष्ट हर लेती है।
रक्त वर्ण के पुष्पों से माँ प्रसन्न हो जाती है।।
दैत्य दानव राक्षसों का मर्दन करती है।
स्वर्ण सी चमकती मां खड्ग अस्त्र शस्त्र रखती है।।
मस्तक पर घण्टे के आकार का इंद्रधनुष रखती है।
अलौकिक वस्तुओं के माँ दर्शन देती है।
दिव्य सुगंधियों का अनुभव माँ देती है।
सोये भाग जगाती माँ दुखियों के दुख हर लेती है।।
इहलोक परलोक में कल्याणकारी है माता।
सदगति प्रदान करने वाली चन्द्रघन्टा माता।।
जो भी शरनागत होकर दरबार आता है।
आराधना कर मनोवांछित फल पाता है।
घण्टे की भयानक ध्वनि से दैत्य थरथर कांपते हैं।
माँ चन्द्रघन्टा से कोसों दूर दानव दल रहते हैं।
माँ चन्द्रघन्टा का मन वचन कर्म से जप जो करता है।
वीरता निर्भयता सौम्यता में वह सदा खरा उतरता है।।