पटना पटना,/प्रतिनिधि(मालंच नई सुबह ) 01/09/2021! ” हमारे अमर साहित्यकारों ने ठीक ही कहा है कि ” देश और भाषा की आजादी में सर्वाधिक प्राथमिकता भाषा को मिलनी चाहिए ! क्योंकि भाषा यदि गुलाम रही तो देश की आजादी के बाद भी, पराधीनता का ही अनुभव करते रहेंगे, जैसा कि आज भी हम महसूस कर रहे हैं !
राष्ट्रीय वरिष्ठ नागरिक का पटना इकाई के द्वारा ऑनलाइन गूगल मीट पर एक काव्य गोष्ठी के सारस्वत आयोजन की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने उपरोक्त उद्गार व्यक्त किया l
आगत अतिथियों का स्वागत किया संस्था के अध्यक्ष मधुरेश नारायण ने। अपने उद्बोधन में, वरिष्ठ कवि चित्रकार सिद्धेश्वर ने कहा कि -” कोरोना काल में व्याप्त सामाजिक दूरियों और साहित्यिक संवादहीनता के बीच ऑनलाइन साहित्यिक गोष्ठियों और पत्रिकाओं की प्रासंगिकता को नकारा नहीं जा सकता, जिसकी एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में इस संस्था का भी योगदान रहा है ! “
डॉ सुनील कुमार उपाध्याय ने:-” अब गज़ल का सुनाईं, बड़ा शोर बा,बावे बदरी ना करिया,खड़ा मोर बा।”/”मीना कुमारी परिहार ने -“देखो सखि आज जन्म लिये कृष्ण कन्हाई।/गोकुल में देखो घर-घर बाजे बधाई ।”/अंजू भारती ने -“ज्योति ज्योतिपुंज से लौ बिखेरकर जीवन में प्रकाश भर दो।हे ईश्वर !अब आओ धरा पर हर घर को रोशन कर दो!”/रंजू सिंहा ने -“आजादी का अमृत महोत्सव,आ गया है मस्ती कर लो !” जैसी कविताओं ने श्रोताओं का मन मुग्ध कर दिया ! पूरी संगोष्ठी का सशक्त संचालन किया अंजू भारती ने !