मालंच नई सुबह

सच हार नही सकता

साहित्य

बहुआयामी व्यक्तित्व के प्रेरक-पुरुष थे राधाकृष्ण : डॉ ध्रुव

 पटना/प्रतिनिधि/(मालंच नई सुबह) पटना । ” डॉ राधाकृष्ण सिंह साहित्य और राजनीति में क्रांतिदर्शी दखल रखते थे। वे सामाजिक न्याय और प्रगतिशील जीवन-मूल्यों के प्रखर चिंतक थे। ” यह बातें पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर व हिंदी साहित्य मर्मज्ञ, नई धारा के संपादक डॉ शिवनारायण ने राधाकृष्ण सिंह की प्रथम पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि संगोष्ठी में कही I  ” शिक्षा, साहित्य और  राजनीति ” विषय पर व्योम, महेंद्रू में आयोजित सभा में उन्होंने कहा कि वे दबे, पिछड़े और वंचित समुदाय के ऐसे विचारक रहे, जो उन्हें जगाने- बढ़ाने के साथ-साथ उनमें सतत प्रतिरोध का मंत्र भी फूंकते रहे।

पटना ट्रेनिंग कॉलेज के प्राचार्य और लंबे समय तक उनके सहयोगी रहे प्रो ( डॉ) आशुतोष कुमार ने अपनी यादों को साझा करते हुए कहा युवा पीढ़ी को उनसे सीख लेनी चाहिए कि किस तरह सुविधाहीन समाज के लोग भी अपनी मेहनत और ज्ञान-बुद्धि के बल पर अपार लोकप्रियता हासिल कर सकते हैं, शिखर को चूम सकते हैं I

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए उनके छात्र जीवन के सहयोगी, मित्र व पड़ोसी रहे डॉ ध्रुव कुमार ने कहा कि अपनी प्रखर लेखनी और वाणी से लोगों का दिल जीतने वाले चिंतक – विचारक डॉ राधाकृष्ण सिंह उन विरले व्यक्तित्व के धनी शख्सियत के स्वामी थे, जिन्होंने साहित्य, राजनीति, पत्रकारिता, शिक्षण व पुस्तक लेखन सहित सभी कार्य क्षेत्रों में अपनी अमिट छाप छोड़ी I उनका असामयिक निधन जागरूक समाज की ऐसी क्षति है, जिसकी भरपाई संभव नहीं है I

मारवाड़ी उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक अनिल रश्मि ने कहा कि उन्होंने अनेक चर्चित पुस्तकों की रचना की जिनमें हमारी राजनीतिक विरासत,  खतरे में खेती, शिक्षा, साहित्य और संविधान,  अध्यापक – शिक्षा, शिक्षा के बदलते मानदंड,  छात्र आंदोलन, मंडल कमीशन,  शिक्षा शिक्षक और सरकार, महिला आरक्षण, बिहार मांगे विशेष,  राजनीति के मूर्धन्य नायक : लालू प्रसाद यादव आदि शामिल हैं।

उनके राजनीतिक जीवन यात्रा का विश्लेषण करते हुए गंगेश गुंजन ने कहा कि वे 1978 में छात्र राजनीति में तब आए, जब उनका परिचय कर्पूरी ठाकुर से हुआ।

इस अवसर पर डॉ जितेंद्र वर्मा, डॉ मेहता नागेन्द्र सिंह, मनीष श्रीवास्तव ने अपने विचार व्यक्त कियेI

गौरतलब है कि अनेक पुस्तकों के लेखक डॉ राधाकृष्ण सिंह को वर्ष 2003 में बिहार सरकार के राजभाषा विभाग से बी पी मंडल पुरस्कार, बिहार गौरव सम्मान, डॉ आंबेडकर फेलोशिप सम्मान पुरस्कार, डा. रामेश्वर सिंह भार्गव स्वर्ण पदक सम्मान से भी सम्मानित किया गया था। 2005 में वे राजद के टिकट पर 506 मतों के मामूली अंतर से पराजित हो गए थे। उनका जन्म बेगूसराय जिले के गाड़ा – वीरपुर गांव में हुआ था और 58 वर्ष की आयु में पिछले साल आज ही दिन पटना में उनका निधन हो गया था।

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