राज प्रिया रानी
बेमौसम बरस रही घटा घोर बरसात
उकेर रही हजारों अनसुलझे सवाल
मानवता का क्षरण कस रहा है जाल
भौगौलिक संरक्षण में बुन गया जंजाल
बेकाबू में धरती का प्रदूषण नियंत्रण
क्षरण हरण हुआ धरा का वनीकरण
प्राकृतिक आपदाएं लाती कई
बेमौसम बरस रही घटा घोर बरसात
उकेर रही हजारों अनसुलझे सवाल
मानवता का क्षरण कस रहा है जाल
भौगौलिक संरक्षण में बुन गया जंजाल
बेकाबू में धरती का प्रदूषण नियंत्रण
क्षरण हरण हुआ धरा का वनीकरण
प्राकृतिक आपदाएं लाती कई तबाही
मानव के हांथों ही दोहन होती प्रकृति
आपदाओं का ही रूप है कोरोना काल
प्रकृति को मिला जो लौटा रहा प्रहार
कदम कदम पर दिया मानव भू आघात
तड़प रहा मृत्यु शैया पर हो रहा पश्चाताप
प्रकृति संग मानव का है अद्भुत बंधन
सांसों के लिए भी करता प्रकृति वंदन
पर्यावरण संरक्षण को नकारा जब मनुज
दर्शाया प्रकृति ने धरा पर रौद्र स्वरूप
प्राणी और पर्यावरण एक दूजे की डोर
एक धार में बहते दोनों नदी के दो छोर
वृक्ष ही दवा हम हरियाली से आबाद
प्रकृति ही देती जीने का परम आधार
वृक्ष, उपवन,नदी , पहाड़ धरा के है औलाद
पल्लवित इससे पुष्पित हो मानव बना फौलाद
हरियाली संरक्षण का हम लें एक संकल्प
रोज लगाएं पौधा जीने का बचा न कोई विकल्पबाही
मानव के हांथों ही दोहन होती प्रकृति
आपदाओं का ही रूप है कोरोना काल
प्रकृति को मिला जो लौटा रहा प्रहार
कदम कदम पर दिया मानव भू आघात
तड़प रहा मृत्यु शैया पर हो रहा पश्चाताप
प्रकृति संग मानव का है अद्भुत बंधन
सांसों के लिए भी करता प्रकृति वंदन
पर्यावरण संरक्षण को नकारा जब मनुज
दर्शाया प्रकृति ने धरा पर रौद्र स्वरूप
प्राणी और पर्यावरण एक दूजे की डोर
एक धार में बहते दोनों नदी के दो छोर
वृक्ष ही दवा हम हरियाली से आबाद
प्रकृति ही देती जीने का परम आधार
वृक्ष, उपवन,नदी , पहाड़ धरा के है औलाद
पल्लवित इससे पुष्पित हो मानव बना फौलाद
हरियाली संरक्षण का हम लें एक संकल्प
रोज लगाएं पौधा जीने का बचा न कोई विकल्प