दीपावली की लिस्ट
डॉक्टर पुष्पा जमुआर
“रागिनी दीपावली की सफाई में व्यस्त थी ।वह झाड़न लेकर एक-एक चीज से धुल झाड़ रही थी ।मानो जितनी भी दरिद्रता है रागिनी के झाड़न से भाग जएगी। भले हीं उसके पास पैसे की अभाव है किन्तु संतोष धन की कमी नहीं थी ।तभी तो वह कहती नहीं थकती थी कि ‘मेरा हाथ हीं लक्ष्मी है ।’मेरा हाथ लगते ही सारे दुख दरिद्र दूर हो जाएगा ।रागिनी की आशा बलवान थी ।धीरे-धीरे सभी ओर सफाई हो चुकी थी।कितना समय लगता एक ही तो कमरा है ।आँगन को घेर कर छोटी सी रसोई घर बना रखी थी ।रसोई से लगे हीं ओसरा है जिससे होकर घर से बाहर की ओर रास्ता सड़क को निकलती है ।धनी थी एक बक्से के साथ ।जिस में चिंकी -चिंटू के साथ रागिनी के पुराने किन्तु साफ कपड़े हैं । कुछ जमापुंजी के नाम पर घर खर्चे से बचे पैसा रखती थी । बच्चों की स्कूल के फीस, हारी -बिमारी के लिए, कभी-कभी व्रत त्योहार के लिए ।रागिनी ईंटभट्टी पर मजदूरी करती है ।बस यही थी उसका धन सम्पत्ति ।घर की सफाई के बाद पिछले साल की बची हुई रंग-बिरंगी दीए को साफ कर रही थी कि बेटा -बेटी दौड़ती हुई रागिनी के पास आई और झट से दोनों माँ को दीपावली की लिस्ट थमा कर कहा “माँ-माँ लिस्ट में लिखे सभी मुझे चाहिए ।दोनों भाई -बहन एक साथ बोलने लगा ।मेरे दोस्त ने अपने लिस्ट में जो-जो लिख कर दिया, उसकी मम्मी ने सब कुछ खरीद दिया है ।मुझे भी •••हाँ! हाँ मुझे भी चाहिए ।दोनो भाई-बहन एक साथ बोला और फिर दोनो खेलने के लिए भाग गये ।
“रागिनी दीपावली की लिस्ट थामे बच्चों को देखने लगी ।समझ नहीं पा रही थी कि बच्चों से क्या कहे।उन्हें क्या मालूम कि माँ किस तरह से उसकी माँग पूरी करेगें ।लिस्ट खोल कर पड़ने लगी ।नये फ्रॉक, नई शर्ट, फुलझरी, पटाखे, खिलौने, मिठाई, नए जूते और फिर क्या-क्या उसे आगे पढ़ने का हिम्मत नहीं किया।वह लिस्ट मोड़कर अपने आँचल में बांध कर सफाई करने की कोशिश करने लगी किन्तु वह बच्चों की लिस्ट में उलझ गई थी ।फिर कुछ सोच कर “चिंकी -चिंटू इधर आओ ।
“आई माँ ••••बाज़ार चलेगी? “चलो -चलो माँ जल्दी चलो ।तभी रागिनी कुछ सोच कर बक्से से जमा पैसा निकला कर बच्चे को देते हुए कहा -“यही है जो होगा खरीद लेना ।””चिंकी -चिंटू से बड़ी थी वह समझती थी कि इतने में दोनों भाई बहन के लिस्ट पुरा नही होगा ।सो वह माँ से बोली –“इतने पैसे में तो सिर्फ माँ लक्ष्मी जी की मूर्ति और पूजा की सामग्री हीं होगी ।”
“हाँ! हम माँ लक्ष्मी को खरीद लेगें ।”दीये तो पिछले साल वाली है सम्मभल कर रखलिए थे ।सो घी और बाती खरीदना होगा ।मिठाई आज सुबह मालिक ने दीपावली का उपहार दिया है सो भोग लगा लेगें ।बाक़ी तो —–?और रागिनी चुप्पी साधे बच्चों को देखने लगीचिंटू -चिंकी की बातें समझने की कोशिश कर रहा था ।की वह और माँ क्या बात कर रही है । ।हाँ माँ !आने वाले साल के लिए दीपावली पर लिस्ट पुरा करने के लिए पूजा-अर्चना पर माँग लेगें ।चूँकि लक्ष्मी माँ धन देंगी तब नये कपड़े जरूर खरीदूंगी। रागिनी ने हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा -दीया पुराना है तो क्या हुआ लक्ष्मी की मुर्ति तो नई है । “बच्चे समझ चुके थे कि हमसब की हदें यहीं तक है। माँ के हाथों से दीपावली की लिस्ट लेकर फाड़कर फेंक दिया फिर कहा माँ कुल्लिया-चुकिया और लावा -फरी तो भूल गयी थी ।माँ लक्ष्मी को यह सब बहुत पसंद है न माँ ।”जरूर खरीदना ।
चिंकी की बातों से माँ फीकी हँसी हँसने लगी किन्तु आँखों से आंसू छलकने लगे थे । रागिनी बच्चों के साथ बाजार चल पड़ी ।शाम को लक्ष्मी पूजन करने थे । इस लोक की एक माँ को उस लोक की देवी लक्ष्मी माँ से बच्चों की दीपावली की लिस्ट की पूर्ति हेतु प्रार्थना करनी है