मालंच नई सुबह

सच हार नही सकता

साहित्य

तुम्हारा होना

 

                                  तुम्हारा होना

सलिल सरोज नई दिल्ली

मेरे ना होने से तुम्हारा होना कैसे हो जाएगा

देखें ,  बग़ैर आँखों के रोना कैसे हो जाएगा

उचटी नींदों , आधे ख़्वाबों , अकेली सी रातों ख़ामोश सिलवटों से बिछौना कैसे हो जाएगा

घड़ी  दो घड़ी को तुम, तुम  लग  सकती  हो लेकिन, यह वारदात रोज़ाना कैसे हो जाएगा

लाली,बिंदी, सुर्खी,मेंहदी,चूड़ी, कंगन सबठीक है

पर मेरे देखे बिन तुम को सजाना कैसे हो जाएगा

कुछ खतों, कुछ तस्वीरों, कुछ लम्हों ,कुछ सामानों से तुम्हारे  साथ बनाए  यादों  का हर्जाना कैसे हो जाएगा

तुम्हारे होने से ही कुछ और होने का मतलब है

छत और दीवारों से आशियाना कैसे हो जाएगा

 

LEAVE A RESPONSE

Your email address will not be published. Required fields are marked *