मालंच नई सुबह

सच हार नही सकता

साहित्य

आत्मकथा- – कोरोना वायरस की

@निक्की शर्मा र’श्मि‘

 मुम्बई

आत्मकथा- – कोरोना वायरस की

मैं कोरोनावायरस हूँ। मुझे कोई हल्के में ना लें। मैं महामारी के रूप में इस बार आया हूँ।सर्दी, जुकाम, खांसी जैसी तकलीफों का तो मानो पर कोई असर ही नहीं हो रहा था।मुझे तुम बहुत हल्के में ले रहे थे इसलिए तुम सबको सबक सिखाने के लिए इस बार महामारी के रूप में आना पड़ा।मानव तुमने प्रकृति का नुकसान किया। पर्यावरण नुकसान करते ही जा रहे हो जिसकी वजह से ऑक्सीजन की जरूरत कितनी है तुम्हें मेरे आने पर पता चल ही चुका है। मैं कोरोनावायरस ऐसे परिवार से हूँ जो खांसी, जुकाम के साथ सांस लेने में तकलीफ देता है। मैंने अपने आप को विकराल रूप में विकसित किया वह भी चीन के वुहान से।मुझे रोकने के लिए कोई दवा नहीं कोई टीका नहीं था। कितने लोग मेरी चपेट में आकर मारे गए, कितने परिवार को मैंने बिखेर कर रख दिया। मैं दिन प्रतिदिन फैलता गया, बढ़ता गया। एक देश से दूसरे देश घूमता रहा।आज भी घूम रहा हूँ।

 मुझे मारने की कोशिश लगातार हो रही है फिर भी मैं 70 देशों में अपनी पकड़ बना चुका हूँ। कोविड-19 नाम दिया गया है मुझे। मुझे खत्म करने के लिए कोई दवा नहीं था हाँ असर कम करने के लिए टीका विकसित किया गया है। मुझसे बचने के लिए लोग बार-बार हाथ होते हैं और मास्क लगाते हैं फिर भी मैं उन तक पहुंच ही जाता हूँ। मैं मानव के बाल की तुलना में 900 गुना छोटा हूँ इसलिए लोगों का बचना आसान नहीं मुझसे ।हाँ अब थोड़ा कमजोर हो गया हूँ लेकिन मैंने अभी भी हिम्मत नहीं हारी है। कई टुकड़ों में बिखर गया हूँ फिर भी मानव मैं तुम्हें परेशान करता रहूँगा। मुझे मारने की कोशिश हमेशा के लिए है तुम्हारी।

 “मुझे खत्म करने की कोशिश तुम्हारी जारी है  मैंने भी लेकिनतुम मानवों से हिम्मत नहीं हारी है“

  मैं कोरोनावायरस धीरे-धीरे कमजोर होता जा रहा हूँ। सच है लेकिन मैं किससे कहूँ? हिम्मत हारना मैंने नहीं सीखा।तुम टीका, बूस्टर सब मेरे खिलाफ ला रहे हो लेकिन फिर भी मैं अपनी पैर दोबारा पसारने की कोशिश में लगा हूँ। मैं धीरे-धीरे कमजोर होकर टूट रहा हूँ सच है लेकिन मैं किससे कहूँ अपनी आत्मकथा।किसे सुनाऊं? हां किसे सुनाऊं भला? मैं इतना शक्तिशाली होकर भी आज तुम मानवों के सामने कमजोर होता जा रहा हूँ मैं हारता जा रहा हूँ। मैं हारता जा रहा हूँ, टूटता जा रहा हूँ, बिखरता जा रहा हूँ। लेकिन मेरी कोशिश एक बार फिर पैर पसारने की है तुम्हें फिर से परेशान, हैरान करने की है। सर्दी ,जुकाम, खांसी सांस लेने में तकलीफ में हर तरह से तुम्हें परेशान करूंगा और आखिरी दम तक परेशान करूंगा मैं कोरोनावायरस।

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