मालंच नई सुबह

सच हार नही सकता

साहित्य

आज संकल्प हम करते हैं

आज संकल्प हम करते हैं
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विजय कनौजिया (उत्तर प्रदेश)

चलो हमारे प्रेम भवन का
शिलान्यास हम करते हैं
हो निर्माण शीघ्र ही इसका
पहल आज से करते हैं..।।

सहभागिता तुम्हारी हो तो
प्रेम भवन अपना बन जाए
बस जाओ तुम मन मंदिर में
प्रेमार्पण हम करते हैं..।।

मुख्य द्वार को पद चिन्हों से
आज विभूषित तुम कर दो
गृहणी बन जाओ इस घर की
इसे सुसज्जित करते हैं..।।

साथ समर्पण से आओ हम
नवजीवन प्रारंभ करें
जीवन सफ़र सफल हो जाए
यही कामना करते हैं..।।

हो विपरीत परिस्थिति चाहे
पथ से हम विचलित ना होंगे
सुख-दुःख को मिलकर बाटेंगे
आज संकल्प हम करते हैं..।।
आज संकल्प हम करते हैं..।।

~ विजय कनौजिया

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