मालंच नई सुबह

सच हार नही सकता

साहित्य

अब बस हिंदी

अब बस हिंदी

     __ सागरिका रॉय

हिन्द देश में हिंदी को ,
उचित मान दिलाने को,
आज भी प्रयत्न जारी है,
क्या कहें ,कैसे कहें कि,
मातृभूमि की अपनी भाषा ही,
संस्कृति का सच्चा प्रभारी है।
शिशु पोषण हेतु ज्यों ,
माता का दूध महत्वपूर्ण है,
संस्कारों के सफल वहन हेतु त्यों ,
हिंदी भाषा ही अक्षुण्ण है।
१४ सितंबर को ही सिर्फ ,
हिंदी दिवस मनाना ,
मात्र हमारा ध्येय नहीं।
जन – जन  हिंदी,
मन – मन  हिंदी,
हो अब सिर्फ उद्देश्य यही ।
माना की भाषाई विविधता ,
बहुत न्यारी होती है,
माना कि हर एक भाषा ,
बहुत ही प्यारी होती है।
पर सदस्यों से भरे परिवार का,
एक मुखिया तो होता है,
परिवार के संस्कारों को जो,
अपने सशक्त कंधों पर ढोता है।
भारत में हिंदी भाषा को,
उचित स्थान दिलाना होगा,
हिंदी की महत्ता को,
अगली पीढ़ी को समझाना होगा।
एक दिवस नहीं हर एक दिवस ,
अब हिंदी दिवस हो,
यही लक्ष्य बनाना होगा ।
अब बस ___
यही लक्ष्य बनाना होगा ।

 

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