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सम्पादकीय

विविध भारती : देश की सुरीली धड़कन

विविध भारती : देश की सुरीली धड़कन

डॉ ध्रुव कुमार

आज से 65 साल पहले आज ही के दिन यानी तीन अक्तूबर को जब पूरे देश में विजयादशमी मनाई जा रही थी, सुबह 10 बज कर 13 मिनट पर एक स्वर उभरा – ” ये आकाशवाणी का पंचरंगी कार्यक्रम है…. ” और इसी के साथ भारत में रेडियो के नए युग की शुरुआत हुई I

आजादी के एक दशक बाद सूचना, शिक्षा और मनोरंजन के साथ ” सर्वजन हिताय- सर्वजन सुखाय ”  वाले आकाशवाणी ने एक नए चैनल की शुरुआत की और इसका उद्देश्य था ” सोच-विचार और मनोरंजन ” I

दरअसल ” विविध भारती ” की शुरुआत के पीछे रोचक बात यह थी कि जब 1950 में डॉ. केसकर सूचना एवं प्रसारण मंत्री का कार्य संभाला तो उन्होंने आकाशवाणी पर फिल्म-संगीत पर रोक लगा दी I उन्होंने फिल्म-संगीत के बदले शास्त्रीय-संगीत को प्रोत्साहित कियाI

सूचना प्रसारण मंत्री डॉ केसकर मानते थे कि फिल्म संगीत ने शास्त्रीय संगीत को काफी नुकसान पहुंचाया है I उन्होंने रेडियो संगीत सम्मेलनों की शुरुआत कराई I इस दौरान आकाशवाणी में पंडित रविशंकर, बी डी जोग,  पी के जयराम अय्यर और पन्नालाल घोष जैसे प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीतकार बुलाए जाने लगे I

दूसरी ओर फिल्म संगीत के लिए भी यह दौर स्वर्णिम काल था I भारत के रेडियो श्रोता आकाशवाणी के
लगी रोक के बाद फिल्मी गाने सुनने के लिए रेडियो सीलोन ( अब श्रीलंका ) से प्रसारित होने वाले बिनाका गीतमाला ( फिल्मी गीतों की हिट परेड ) में हिंदी फिल्मी गीतों को सुनना शुरू कर दिया I इस तरह यह चैनल एकाएक लोकप्रिय हो गया I अमीन सयानी द्वारा प्रस्तुत ” बिनाका गीतमाला ” ने बहुत जल्द लोकप्रियता के शिखर को चूम लिया I यह कार्यक्रम इतना लोकप्रिय हुआ कि इसी के बलबूते 1951 से अपने रेडियो करियर की शुरुआत करने वाले अमीन सयानी लगभग 5 दशकों तक कार्यक्रम प्रस्तोता के रूप में श्रोताओं के दिलों पर राज करते रहे I उन्हें ” आधी सदी की आवाज ” भी कहा जाता है I उन्होंने लगभग पचास हजार रेडियो कार्यक्रम और बीस हजार जिंगल तैयार किए I रेडियो सिलोन से प्रसारित बिनाका गीतमाला अमीन सयानी को प्रसिद्धि  की बुलंदियों पर पहुंचा दिया I

रेडियो सिलोन की हिंदुस्तान में बढ़ती लोकप्रियता का मुकाबला करने के लिए ” विविध भारती ” का ताना-बाना बुना गया I प्रसिद्ध संगीतकार आचार्य पंडित नरेंद्र शर्मा

इसके पहले चीफ प्रोड्यूसर  बनाए गए I विविधता और भारतीयता के साथ मनोरंजन के ताने-बाने के साथ शुरू हुआ विविध भारती का सुनहरा सफर जो आज भी करोड़ों रेडियो प्रेमियों के दिलों पर राज करता है I
उन्हीं दिनों 1956 में यूनेस्को ने भारत को अपने ” रेडियो रूलर फॉर प्रोजेक्ट ” के लिए चुना I इस तरह का प्रोजेक्ट कनाडा में सफलतापूर्वक लागू किया जा चुका था I इस ऐतिहासिक प्रोजेक्ट के लिए महाराष्ट्र के पुणे के आसपास के 144 गांव को चुना गया I गांव में ” रेडियो रूलर फोरम ” बनाए गए और आकाशवाणी द्वारा प्रसारित कार्यक्रमों पर ग्रामीणों के साथ वार्तालाप किया जाने लगा I

इस परियोजना का नारा था – ” सुनो, चर्चा करो और उसे लागू करो I” अध्ययन में यह पाया गया कि पुणे के ग्रामीणों ने रेडियो फोरम के माध्यम से विभिन्न मुद्दों पर आम राय बनाने में योगदान किया और ग्राम पंचायतों के प्रभाव को मजबूती प्रदान की Iइधर आकाशवाणी को मजबूती प्रदान करने के लिए दूसरी पंचवर्षीय योजना 1956-51 में भारत सरकार ने आकाशवाणी को आठ करोड़    रुपए की धनराशि आवंटित की I हालांकि इनमें से पांच करोड़ 64 लाख रुपए ही खर्च हो पाए I हालांकि यह राशि पहली पंचवर्षीय योजना 1951-56 में आवंटित 3 करोड़ 52 लाख रुपए की राशि से बहुत अधिक थी I हालांकि पहली पंचवर्षीय योजना की उपलब्ध कराई गई आवंटित राशि में से सिर्फ आधी राशि  ही खर्च हो पायी थी I

” जयमाला ” और ” हवामहल ” विविध भारती के शुरूआती कार्यक्रम रहे हैं और ये आज 65 साल बाद भी उतनी ही लोकप्रियता के साथ चल रहे हैं। ” जयमाला ” सोमवार से शुक्रवार तक फौजी भाईयों की पसंद के फिल्‍मी गीतों का कार्यक्रम है जबकि  शनिवार को कोई मशहूर फिल्‍मी-हस्‍ती इसे पेश करती है I विगत कुछ वर्षों से रविवार को जयमाला का नाम जयमाला संदेश होता है। जिसमें फौजी भाई अपने आत्‍मीय जनों को और फौजियों के आत्‍मीय जन देश की सेवा कर रहे इन फौजियों के नाम अपने संदेश विविध भारती के माध्‍यम से देते हैं। ये कार्यक्रम लगातार लोकप्रियता के शिखर पर है। इस लिहाज से

विविध भारती दुनिया का पहला ऐसा रेडियो चैनल या मीडिया चैनल था, जिसने विशेष तौर पर फौजियों के लिए कोई कार्यक्रम आरंभ किया I बाद में इस फॉरमेट की नकल कई चैनलों ने की।देव आनंद,  धर्मेंद्र, राजकुमार, शशि कपूर, अमिताभ बच्‍चन समेत कई नामचीन कलाकार फौजी भाईयों से अपने मन की बात कह चुके हैं। फिल्मी हस्तियों में अभिनेत्री नरगिस ने विविध भारती पर पहला जयमाला कार्यक्रम पेश किया था। इसके बाद तो फौजी भाईयों के इस कार्यक्रम में आशा पारेख, माला सिन्‍हा, वहीदा रहमान, हेमा मालिनी से लेकर अमृता राव तक नई तारिकाएं शामिल हो चुकी हैं।
” हवा महल ” नाटिकाओं और झलकियों का कार्यक्रम है, जिसका प्रसारण पहले रात सवा नौ बजे हुआ करता था, अब इसका समय है रात आठ बजे है I हवामहल के लिए झलकियां और नाटक देश भर से आकाशवाणी केंद्र तैयार करके भेजते हैं। इसमे फिल्मी कलाकार असरानी, ओमपुरी, ओम शिवपुरी,  अमरीश पुरी, दीना पाठक, यूनुस परवेज जैसे कई नामी कलाकारों ने अभिनय किया है। हवामहल की खास तरह की संकेत-ध्‍वनि लोगों को अभी भी रोमांचित करती हैं I

सुबह साढ़े सात बजे प्रसारित होने वाले कार्यक्रम ” संगीत- सरिता ” के माध्यम से विविध भारती ने अपने तमाम श्रोताओं के भीतर संगीत की समझ कायम करने का प्रयास किया है। संगीत सरिता में आमंत्रित विशेषज्ञ संगीत की बारीकियों को बहुत सरल शब्‍दों में समझाते हैं। मिसालें देते हैं, गायन की बानगी पेश करते हैं और किसी राग पर आधारित फिल्‍मी गीत सुनवाकर श्रोताओं को उस राग से पूरी तरह परिचित करा देते हैं।

” भारत की गूँज ” भी  विविध भारती का बेहद लोकप्रिय कार्यक्रम है। प्रातः  8  बजे इसका प्रसारण होता है । इस कार्यक्रम में नये फ़िल्मी गीतों को प्रसारित किया जाता है व कलाकारों के ट्विटर अकाउंट पर उनके द्वारा किए गए ट्वीट की जानकारी दी जाती हैं।

विविध भारती के अन्य लोकप्रिय कार्यक्रमों में सखी सहेली, छाया गीत, बंदनवार, गीतों की कहानी,  बाइस्कोप आदि शामिल हैं I
विविध भारती पर सबसे पहले गीत गाने का श्रेय पार्श्व गायक मन्ना डे को है I उन्होंने ” नाच रे मयूरा….” गीत गाकर लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया था I
65 साल बाद भी विविध भारती का जादू श्रोताओं के दिलों-दिमाग पर छाया हुआ है I यही कारण है कि आज भी तमाम प्राइवेट एफएम चैनलों के दौर में भी यह सबसे ज्यादा लोकप्रिय है I

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