इंदिरा काल से अधिक तानाशाह होते जा रहे हैं वर्तमान सत्ताधीश
बंगाल चुनाव में केंद्रीय गृह अमित शाह की रैली में टीएमसी के विधायक शुभेंदु अधिकारी अपने 10 समर्थकों के साथ भाजपा जॉइन किए थे।उस घटना के तत्काल बाद भाजपा ने अपने यूट्यूब चैनल पर से शुभेंदु अधिकारी का वीडियो हंटा लिया था।भाजपा ने नारद स्ट्रिग से जुड़े इस वीडियो को 2016 में अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया था।जिसमे शुभेंदु अधिकारी और मुकुल राय समेत कई टीएमसी नेताओ को कई अलग अलग स्थानों पर पैसा लेते दिखाया गया था।मुकुल राय तो 3 नवम्बर 2017 के ही भाजपा जॉइन कर लिए थे। जबतक वे भाजपा में नही थे शारदा घोटाला के मुख्य आरोपी रहे सीबीआई हाथ धोकर उनके पीछे रही।भाजपा जॉइन करने के बाद उन्हें राहत मिली।किन्तु शुभेंदु अधिकारी बंगाल चुनाव के अमितशाह के प्रचार रैली में भाजपा का दामन थामे थे।अब सवाल यह उठता है कि इन सब बातों का जिक्र इतने दिनों बाद यहां क्यो किया जा रहा है।इसका जवाब यह है कि वर्तमान सत्ताधीशो की कानून के डंडे से अपने प्रतिद्वन्दियो को डरना, तोड़ना अपने में मिलना या फिर चुप कर देने की आददत बनती जा रही है। अभी वही कानूनी डंडा दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को झेलनी पर रही है।शायद उन्हें भी तोड़कर केजरीवाल को कमजोर करने की रणनीति हो।गलत शुभेंदु अधिकारी और मुकुल राय भी रहे होंगे।बहुत सम्भव है सिसोदिया भी गलत होंगे।लेकिन प्रतिद्वंदियों की गलतियों का यह इस्तेमाल भी स्वछ नही ही माना जाएगा।
यह बात नहीं है कि ऐसा पहली बार हुआ है। या वर्तमान सत्ताधीश ही ऐसा करते रहे हैं। आजादी के बाद से ही हर सरकारें कमोबेश इस तरह के कार्य करते रहे हैं। आपातकाल मैं तो यही सब हुआ था ।तत्कालीन विपक्ष के सभी बड़े नेता आपातकाल के नाम पर जेल में डाल दिए गए थे। सरकार के विरुद्ध बोलने वाले हर आवाज को दमनकारी तरीके से कुचला जा रहा था।
किंतु इंदिरा काल की यह नीति राजनीतिज्ञों आंदोलनकारियों के विरुद्ध तक सीमित रही।
आज की स्थिति बद से बदत्तर होती चली जा रही है । शिक्षाविद एवं शिक्षक विकास दिव्यकीर्ति और लोक कवित्री नेहा सिंह राठौर जैसे आम जनों को भी वर्तमान सत्ताधिशो की कानून के डंडे से दबाया कुचला और चुप करने का प्रयास किया जा रहा है। इन दोनों समाजोपयोगी और प्रतिष्ठित आम जनों की गलती सिर्फ एक ही है कि इन्होंने सरकार के कार्यों को और सामाजिक परंपराओं को सत्ताधीशो के चश्मे से नहीं बल्कि अपने नजरिए से देखा और लोगों को उस दिशा में प्रेरित किया। गलत को गलत कहा सही को सही। बुलडोजर व्यवस्था से हुई हृदय विदारक दो महिलाओं की मौत का सहज सरल और लोकप्रिय भाषा में विरोध किया। नेहा सिंह राठौर की गीत का असर तो यह होना चाहिए था कि मुख्यमंत्री के तत्काल आदेश से उस जिलाअधिकारी को निलंबित कर जांच टीम बैठा दी जानी चाहिए थी ।किंतु सत्ता के मद में मदहोश यह व्यवस्था घनानंद की तरह चाणक्य पैदा करने को दूसरा चाणक्य पैदा करने को उताहुल नेहा सिंह राठौर को ही नोटिस भेज दिया ।सत्ताधीशो की यह कृति उन्हें आपातकाल से भी अधिक तानाशाह सिद्ध कर रही है।
यह सही है कि वर्तमान शासन व्यवस्था की वजह से हमारे देश की विदेश नीति में बहुत से अच्छे बदलाव आए हैं। यूक्रेन युद्ध में इस व्यवस्था के तत्परता और व्यवस्था ने हमें दुनिया में बहुत नाम और मान दिया। जिस धारा 370 के बारे में हमेशा से यह कहा जाता रहा है कि यह सिर्फ मुद्दा है व्यवहारिक रुप से इसे कभी हटाया नहीं जा सकता हमारे वर्तमान शासन अध्यक्ष ने बड़ी ही सरलता से धारा 370 को हटा दिया ।जिसकी प्रशंसा कट्टर मोदी विरोधियों को भी करनी पड़ी थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इतिहास पर गहनता से विचार करनी चाहिए और उन्हें यह समझनी चाहिए कि हमारे देश को उनकी अन्य कई प्रतिभा और क्षमता की जरूरत है। ऐसे में उन्हें दमनकारी नीति के द्वारा किसी भी तरह के आत्मघाती कदम से बचनी चाहिए ।पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीया इंदिरा गांधी की भी सभी नीतियां गलत नहीं थी ।अगर उनकी सभी नीतियां गलत होती तो आपातकाल के थोड़े ही समय के बाद वह प्रचंड बहुमत से पुनः सत्ता प्राप्त आजीवन प्रधानमंत्री नही बनी रह सकतीं।वर्तमान शासकीय व्यवस्था को यह समझनी चाहिए कि हमारे देश के नागरिकों की सहनशक्ति बहुत अधिक है इसमें कोई दो राय नहीं किंतु जब यह जागती है और विरोध पर उतरती है तो 200 साल से दमनकारी नीति के द्वारा शासन कर रहे अंग्रेजों को भी खदेड़ देती है ।ऐसे में किसी दमनकारी नीति की आत्मघाती कदम से वर्तमान शासनाध्यक्ष को बचनी चाहिए।