नीरव समदर्शी
अग्नि वीर के विरोध के नाम पर हंगामा ट्रेंनो को जलाना सिर्फ राष्ट्र की संपत्ति का नुकसान नही बल्कि देश की’ समाज की ,बेहतरी सुव्यवस्थित और विकसित होने की अभूतपूर्व सम्भावना का विरोध है।
अग्निपथ योजना को सत्ता और विपक्ष के नजरिए से नहीं देखी जानी चाहिए। इस योजना को इसकी जरूरत ,देश के विकास में सेना की भूमिका , हमारी सेना की देशभक्ति और भारतीय सेना के अनुशासन व्यवस्था की नजरों से देखी जानी चाहिए ।हमें यह समझना चाहिए की अग्नि वीरों को प्रशिक्षण किसी हिंदूवादी संगठन या भारतीय जनता पार्टी के द्वारा नहीं दिया जाएगा। बल्कि उन्हें हमारी पुरानी व्यवस्था के अनुसार ही भारतीय सेना द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा।
सर्व विदित है कि भारतीय सेना विश्व के सबसे अधिक अनुशासित सेना में मानी जाती है। विश्व में सबसे अधिक अनुशासित सेना होने का गर्व हमारी सेना को उसकी प्रशिक्षण व्यवस्था की वजह से ही प्राप्त है ।ऐसे में देश के कोने कोने से उस उम्र के युवा जिस उम्र में अन्याय के विरुद्ध लड़ने के लिए भुजाएं फराफराती रहती है। भारतीय सेना को प्रशिक्षण देने के लिए मिलेगा और 4 वर्षों के बाद वह प्रशिक्षित अग्नि सेना अपने जीवन के 21वर्ष में लौटकर हमारे समाज में आएंगे तो देश के गांव- गांव और शहर शहर में प्रशिक्षित लाइसेंसी अग्निआस्त्र के साथ ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ अनुशासित और अन्याय के विरुद्ध मरते दम तक पूरी शक्ति के से लड़ने के लिए तैयार रहने वाली एक पीढ़ी खड़ी हो जाएगी ।सर्वविदित है कि हमारे देश में आतंकवाद और भ्रष्टाचार समाज के निचली श्रेणी तक इस तरह जड़ जमा चुकि है कि सिर्फ पुलिस या सेना की सहायता से उन जड़ो को नहीं उखड़ा जा सकता है ।लेकिन देश के गांव गांव में शहर शहर में इस तरह के अनुशासित पीढ़ी लाइसेंसी आर्म्स के साथ अगर खड़ी हो जाएगी तब सरकार की थोड़ी सी इच्छाशक्ति और ईमानदार प्रयास से देश में जड़ जमा चुके आतंकवाद और भ्र्ष्टाचार को निर्मूल करना बड़ा ही सहज और आसान हो जाएगा।अब इस व्यवस्था में अधिक से अधिक पूर्वाग्रह यह हो सकता है कि वर्तमान सरकार पर कुछ लोगो को भरोसा नही हो सकता है|ऐसे लोग पूरी शक्ति से अपनी नजरिये से ईमानदार दूसरी सरकार लोकतान्त्रिक तरीके से करे स्थापित करने का प्रयास करें |इस सब के अतिरिक्त अग्निपथ परियोजना में कही भी जबरदस्ती युवाओं को लेन कि बात नही की गयी है|जिन्हें विरोध हो वह शामिल न हो |वह अलोकतांत्रिक क्यो हो रहे हैं|
इसलिए अग्निपथ योजना का विरोधकर रहे सगठनों को देश विरोधी देशद्रोही कहा जाना अतिशयोक्ति नही है।