नूपुर शर्मा के विवादित बयान के बाद भारतीय जनता पार्टी और भारत सरकार ने तुरंत कार्यवाही करते हुए नूपुर शर्मा को बाहर का रास्ता दिखाय। उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज किया गया। कानून अपना कार्य कर रही है बावजूद इसके पूरे देश में हिंसक झड़ते हुई।विश्व भर के मुस्लिम संगठन मुस्लिम देश भारत के विरोध में बयान देने लगे। भारत को चेतावनी दिया जाने लगा। भारत सरकार ने बैकफुट पर जाते हुए पूरे मामले को संभाला दंगाइयों के विरुद्ध कार्यवाही की गई पूरा।सम्पूर्ण देश में तेजी से शांति कायम हो रही है।ध्यान देने की बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी जिसे उग्र हिंदू वाद का समर्थक माना जाता है उसने अपने नेत्री को तुरंत पार्टी से निष्कासित कर दिया उसके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करवाई गई ।बावजूद इसके विभिन्न मुस्लिम देश भारत के के विरुद्ध बयान देने लगे। परिणाम स्वरूप हमारे देश के अंदर के मुस्लिम संगठनों के द्वारा हिंसक कार्यवाही शुरू हुई।भारत सरकार ने तत्पड़ता दिखाते हुए एक तरफ नूपुर शर्मा के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की दूसरी तरफ दंगा कर रहे हिंदू और मुस्लिम संगठनों के विरोध शक्ति से कार्यवाही करते हुए स्थिति को नियंत्रित किया। भारतीय जनता पार्टी एक हिंदूवादी संगठन है बावजूद इसके अंतरराष्ट्रीय बाजार को ध्यान में रखते हुए उसने अपने ही संगठन के नेता के विरुद्ध कार्यवाही की।
यहां गौर करने की बात यह है कि जब भारतीय जनता पार्टी तुरंत नूपुर शर्मा के विरुद्ध कार्यवाही की और विदेश मंत्रालय ने बयान दिया कि हमारे यहां सभी धर्मों को सम्मान दिया जाता है। फिर जहां-तहां हिंसक घटनाएं क्यों हुई? कौन सा तत्व ऐसे अलगाववादी संगठनों को आयोजित किया ?क्योंकि आज के इस बाजारवादी युग में 10 लोगों को इकट्ठा करने में भी रुपए खर्च करने पड़ते हैं ऐसे में आमने सामने मारपीट करने अपने को चोटिल करने की संभावना के लिए युवा पीढ़ी को तैयार करने में हुए खर्चों का वाहन किसने और कहां से किया ।एक बयान को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बना देने के लिए कोई न कोई पक्ष रहा होगा जिसने सुनियोजित ढंग से एक बयान को मुद्दा में परिणत कर दिया ।इस संपूर्ण आयोजन में सोशल मीडिया ने बड़ी भूमिका निभाई ध्यान से देखा जाए तो सोशल मीडिया पर कई दिनों तक विभिन्न संगठनों के द्वारा विभिन्न फेक आईडी के माध्यम से बड़े पैमाने पर नूपुर शर्मा के पक्ष और विपक्ष में एक से एक विभत्स और भड़काऊ वीडियोस अपलोड होते रहे ।अब यह बात ओपन सीक्रेट हो चुका है कि पक्ष और विपक्ष की ओर से आईटी सेल के माध्यम से अनेकानेक आंकड़ो और तथ्य से खिलवाड़ करता हुआ पोस्ट वायरल किया जाता है और सैकड़ों ग्रुप और फेक आईडी के माध्यम से झूठी बातों को लोगों के मन मस्तिष्क में बैठाने का प्रयास किया जाता है ।यह स्थिति इतनी भयानक हो गई है के किसी भी मुद्दे पर सच समझ पाना किसी के लिए भी असंभव सा होता जा रहा है।
संकट को अवसर में बदलने मैं माहिर मोदी सरकार को चाहिए की इस स्थिति को अवसर में बदलते हुए सोशल मीडिया पर आधार कार्ड या किसी अन्य माध्यम से फेक आईडी ब्लॉक करवा दे और किसी भी तरह का पोस्ट का एक गाइडलाइन निर्धारित कर दे तथा गाइडलाइन से बाहर किए पोस्ट करने वाले पोस्ट करने वाले के विरुद्ध तुरंत कार्यवाही की व्यवस्था विकसित कर दें।यह व्यवस्था न सिर्फ रेन्सिटिक या साम्प्रदायिक पोस्ट के लिए हो बल्कि सेक्सुअल और अपसंस्कृति बेस्ड पोस्ट के विरुद्ध भी हो।तभी हमारे समाज मे विकसित हो रहे डिजिटल वेश्यावृति को विकराल रूप लेने के पूर्व नष्ट किया जा सकेगा।तब हमारे युवा पीढ़ी के 50% व्यर्थ हो रहे समय का बचत होगा ।जिसे वह सही दिशा में खर्च कर हमारे देश का विकास में सहभागी बनेंगे।