मालंच नई सुबह

सच हार नही सकता

साहित्य

नई माँ

प्रियंका त्रिवेदी बक्सर-बिहार “मृत्यु से जूझती अदिति किसी तरह हॉस्पिटल पहुंची। उसके पति और सास उसके पीछे दौड़ते हुए आ रहें थे, पर अदिति ऑपरेशन रूम में अंदर जातें जातें भी सिर्फ अपने 9 साल के मासूम बच्चे आरूष को…

सागरिका राय की कविताएँ मर्म-स्पर्शी शब्द-पुष्प गढ़ती हैं / साहित्य सम्मेलन में काव्य-संग्रह ‘अनहद स्वर’ का हुआ लोकार्पण

पटना ।प्रतिनिधि(मालंच नई सह)पटना, ३० मई। गम्भीर लेखन के लिए चर्चित विदुषी साहित्यकार सागरिका राय, भाव-संपदा और काव्य-कल्पनाओं से समृद्ध एक अत्यंत प्रतिभाशाली कवयित्री हैं। इनका ‘भाव-कोश’ ज्ञान और प्रज्ञा के अजस्र स्रोत से समृद्ध हुआ है। इसीलिए इनकी कोमल-भावनाएँ,…

नारी

मरियम ट्रुथ नारी हूं मैं ख़ामोश रहूं मैं, तो सही हूं मैं बोली तो बदतमीज हूं मैं हां नारी हूं मैं घुघंट या पर्दा ना करू तो बदचलन हूं मैं कोई देखें गंदी निगाहों से हमें फिर भी गुनहगार हूं…

अधिक-अधिक संकट गहराया

              ———–हरिनारायण सिंह ‘हरि’ अधिक-अधिक संकट गहराया, दरवाजे पर युद्ध ताखे में बैठा चित्रों में अपना आहत बुद्ध सिर्फ किताबों में पढ़ते हैं,भाषण में चर्चा पर न समझने हेतु बुद्धि को करते हैं खर्चा…

       कोई गाँधी बन पाता

                कोई गाँधी बन पाता                 – विनोद प्रसाद, जगदेव पथ, पटना बापू, तुम चुप क्यों हो ! तुम्हारी नज़रों के सामने ही गीता पर हाथ…

भारत के प्रथम नहर और बीज विज्ञानी: भगवान हलधर

डॉ  नीता चौबीसा  बाँसवाड़ा राजस्थान भारतीय धर्म और संस्कृति में बलराम एक हिंदुओं के देवता और भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई के रूप में पहचाने जाते है। जगन्नाथ परंपरा, त्रय देवताओं में से एक के रूप में वह विशेष…

आईएफडब्ल्यूजे प्रदेश कार्यकारिणी की विस्तारित बैठक संपन्न ,डॉ ध्रुव कुमार अध्यक्ष व सुधीर मधुकर महासचिव चयनित

आईएफडब्ल्यूजे प्रदेश कार्यकारिणी की विस्तारित बैठक संपन्न ,डॉ ध्रुव कुमार अध्यक्ष व सुधीर मधुकर महासचिव चयनित पटना/प्रतिनिधि(मालंच नई सुबह)पटना I इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट ( आईएफडब्ल्यूजे ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष के. विक्रम राव ने कहा है कि बिहार सरकार…

अनुपम जिसका वेष

अनुपम जिसका वेष ———विजय गुंजन निखिल विश्व में हैं सब कहते इसको भारत देश । जहाँ योग-तप-ध्यान सिद्ध योगी विचरण करते हैं , बाँच जागरण मंत्र , भाव मङ्गल जग में भरते हैं । जहाँ ज्ञान की किरणों का होता…

आत्ममंथन

आत्ममंथन ————— —-विजय गुंजन अन्तस्तल में पल रहे कोमल मनोवृत्तियों का उद्रेक है गीत । मानवीय संवेदनाएँ जब हताहत होती हैं , वेदना जब चीखती है , सपने जब टूटते और बनते हैं तो जन्म लेता है गीत ! प्रकृति…

दर्द एक एहसास

 —राज प्रिया रानी बूंद बूंद पिघलती यादें बीती, ढहती गई मुठ्ठी भर रेत सी किसी आवारा इक बातास , रौंद गया री पतझर पात सी सींचना चाहा लम्हे को, मन   उजडे तरकश सा था पल कहीं तो होगी साख दबी…

पता ही नहीं चला

—-डॉ शेफालिका वर्मा मंगलवार, 17 मई 2022 मालंच नई सुबह fff कभीमार्किट नजदीक देखती  दौड़ कर चली जाती बच्चों के लिये कुछ खरीद लाती  आज अपने लिये कुछ खरीदने का मन हुआ पैसे पर्स में भरे है घर के सामने…

पथिक

प्रॉफेसर शिवाकांत मिश्र (पूर्व विभागाध्यक्ष ए0एन0कॉलेज हिंदी विभाग) ————————- वन-प्रांतर में बढ़ता  जाता एक पथिक बेचारा। मेघ गरजते काले काले रहे दहाड़ शेर मतवाले। लपक-लपक चल रहे व्याल से छपक-छपक करते नद- नाले। फैली विभीषिकाएं पथ के कदम -कदम पर…