मालंच नई सुबह

सच हार नही सकता

सीमांचल

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफ़ेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने विश्वविद्यालय के 51वें स्थापना दिवस पर जुबली हॉल में आयोजित मुख्य समारोह

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफ़ेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने विश्वविद्यालय के 51वें स्थापना दिवस पर जुबली हॉल में आयोजित मुख्य समारोह

दरभंगा प्रतिनिधि मालंच नई सुबह,
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफ़ेसर सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने विश्वविद्यालय के 51वें स्थापना दिवस पर जुबली हॉल में आयोजित मुख्य समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि मिथिला ज्ञान एवं दर्शन की भूमि रही है। शिक्षा से संस्कार तथा ज्ञान से विवेक बढ़ता है। शिक्षक किसी भी विश्वविद्यालय के धरोहर एवं पूंजी होती हैं। उपलब्धियां पाने का सिलसिला लंबा होता है। संस्थाएं जीवन्त होती हैं जो कुछ कहे बगैर ही देखने वालों को बहुत कुछ समझा देती हैं।
वहीं कुलपति ने कहा कि 4 वर्षीय स्नातक कोर्स लागू होने से बिहार में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। विश्वविद्यालय में काफी प्रगति हुई है, जिसे विभिन्न मापदंडों से मापा जा सकता है। मेरे 3 वर्षों के कार्यकाल में अनेक सकारात्मक परिवर्तन हुए हैं। वही उन्होंने कहा कि दौड़ने वालों का भाग्य भी दौड़ता है। कुलपति ने गेटे के शब्दों में कहा कि हम कहां खड़े हैं, यह मायने नहीं रखता, बल्कि हमारी दिशा किस ओर है, यह अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने आने वाले समय में विश्वविद्यालय परिसर में 60 करोड़ की लागत से शैक्षणिक भवन तथा इतने ही लागत से नये स्टेडियम बनने की बात कहते हुए शिक्षकों को अपना एपीआई स्कोर बढ़ाने का सुझाव दिया। वहीं कुलपति ने कहा कि विगत 50 वर्षों में शिक्षा की प्रकृति पूरी तरह बदल गई है। मुख्य वक्ता के रूप में विश्वविद्यालय राजनीति विज्ञान के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं सामाजिक विज्ञान के संकायाध्यक्ष प्रो अनिल कुमार झा ने विश्वविद्यालय की स्थापना में सहयोगी रहे सभी महानुभावों को नमन करते हुए कहा कि स्थापना काल से ही जो भी कुलपति हुए वे अपनी क्षमता एवं रूचि के अनुसार विश्वविद्यालय का कार्य किया है। हम छात्रों में न केवल शिक्षा, बल्कि सकारात्मकता का भाव भरने का भी काम करते हैं। वहीं
प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉली सिन्हा ने कहा कि आज का दिन विश्वविद्यालय के लिए विशेष है। स्वर्ण जयंती वर्ष में जो निर्णय लिये गये थे, वे धीरे-धीरे पूरे हो रहे हैं। उन्होंने ललित नारायण मिश्र, अमरनाथ झा, हरिनाथ झा तथा कर्पूरी ठाकुर आदि को नमन किया, जिनके सद्प्रयासों से विश्वविद्यालय स्थापित हो सका। विश्वविद्यालय ज्ञान- विज्ञान के प्रसार हेतु कार्य करता है। आज के दिन हमलोग संकल्प ले कि ज्ञान एवं नैतिकता में हम अपने विश्वविद्यालय को बेहतर स्तर पर ले जाएंगे।
वहीं डा बैद्यनाथ चौधरी ने कहा कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना में अनेक व्यक्तियों का योगदान रहा है, जिनमें ललित बाबू का व्यक्तित्व राष्ट्रीय स्तर का था। इसका पहला नाम मिथिला विश्वविद्यालय था, जिसकी स्थापना 5 अगस्त, 1972 को मोहनपुर गांव में हुई थी। प्रथम कुलपति के रूप में मदनेश्वर मिश्र हुए थे। उन्होंने इसे केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने की बात करते हुए कहा कि कुलपति के नेतृत्व में सामूहिक प्रयास से विश्वविद्यालय को नैक में ए ग्रेड मिलने की उम्मीद है, ताकि दूरस्थ शिक्षा निदेशालय पुनः प्रारंभ हो सके।
इस समारोह में मुख्य वक्ता प्रो अनिल कुमार झा, प्रति कुलपति प्रो डॉली सिन्हा, कुलसचिव डा अजय कुमार पंडित तथा सीनेटर डा वैद्यनाथ चौधरी आदि ने रखे महत्वपूर्ण विचार रखे।

 

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