मालंच नई सुबह

सच हार नही सकता

साहित्य

नई माँ

प्रियंका त्रिवेदी बक्सर-बिहार

“मृत्यु से जूझती अदिति किसी तरह हॉस्पिटल पहुंची। उसके पति और सास उसके पीछे दौड़ते हुए आ रहें थे, पर अदिति ऑपरेशन रूम में अंदर जातें जातें भी सिर्फ अपने 9 साल के मासूम बच्चे आरूष को देख रही थी।“

“ऑपरेशन रूम से डॉक्टर बाहर आकर -अदिति के पति से बोले माँ और बच्चे दोनों की हालत बहुत गंभीर है,ऑपरेशन करना पड़ेगा।“

“उसकी सास ने कहां- नहीं नहीं डॉक्टर साहब ऑपरेशन में मेरे बेटा का बहुत खर्चा आ जाएगा।

किसी भी प्रकार नॉर्मल डिलीवरी ही करीऐ।“

“अदिति आंखों में आंसू लिए बेड पर से सिर्फ अपने मासूम बच्चे को ही देख रही थी”।

“बेटा अब घर चलों ।”(आरूष की दादी ने कहां)

“नहीं दादी मैं अपनी मम्मी और छोटे भाई को गंगा मईया में नहाते अकेले कैसे छोड़ दूं? मम्मी कहती हैं कि अब मैं बड़ा हो गया हूं,अब मुझे उन दोनों को सम्भालना है। मैं उनको लेकर आऊंगा।“

“बेटा अब तुम्हारी ये मम्मी कभी नहीं आएंगी ,हम नयी सुंदर मम्मी लेकर आएंगे।घर चलों बेटा”।(आरूष की दादी ने कहां)

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