डौक्टर केशव कुमार
देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत के निधन के बाद हर तरफ मातम पसरा है. शुक्रवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. इस बीच नए सीडीएस के नाम को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है. कहा जा रहा है कि केंद्र सरकार जल्द ही नए सीडीएस के नाम का ऐलान कर सकती है. सूत्रों से जानकारी मिली है कि नए नाम का ऐलान अगले 7 से 10 दिनों में किया जाएगा. नियमों के मुताबिक कोई भी कमांडिंग या फ्लैग ऑफिसर इस पद के लिए एलिजिबल हैं. जनरल रावत ने जनवरी 2020 में देश के पहले सीडीएस के तौर पर कार्यभार संभाला था.
संभाला था.आम तौर पर सीडीएस के लिए ऊपरी आयु सीमा 65 वर्ष निर्धारित की गई है. पीएम मोदी ने 2019 में अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में एक सीडीएस की नियुक्ति की घोषणा की थी. सीडीएस के हाथों में तीनों सेना की कमान होती है. आइए एक नज़र डालते हैं उन नामों पर जिन्हें अगले सीडीएस की ज़िम्मेदारी दी जी सकती है.
नरवणे रेस में सबसे आगेजनरल मनोज मुकुंद नरवणे सीडीएस की रेस में सबसे आगे चल रहे हैं.—
वो फिलहाल चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ हैं. जनरल नरवणे नौसेना और वायु सेना में अपने समकक्षों से वरिष्ठ हैं. 31 दिसंबर, 2019 को 27वें थल सेनाध्यक्ष के रूप में पदभार संभालने वाले नरवणे ने पहले सेना के उप प्रमुख के रूप में कार्य किया और इससे पहले सेना की पूर्वी कमान का नेतृत्व किया, जो चीन के साथ भारत की लगभग 4,000 किलोमीटर की सीमा की देखभाल करती है.
कई अहम मोर्चे पर किया काम
चार दशकों से अधिक के अपने करियर में, नरवणे ने जम्मू-कश्मीर और उत्तर पूर्व में शांति, क्षेत्र और अत्यधिक सक्रिय उग्रवाद विरोधी माहौल में कई कमांड और स्टाफ नियुक्तियों के लिए काम किया है. उन्होंने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन और पूर्वी मोर्चे पर एक पैदल सेना ब्रिगेड की भी कमान संभाली है. वो श्रीलंका में भारतीय शांति सेना का भी हिस्सा थे. साथ ही उन्होंने तीन साल तक म्यांमार में भारतीय दूतावास में भारत के डिफेंस अटैची के रूप में काम किया था.
NDA के रहे हैं छात्र
नरवणे राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और भारतीय सैन्य अकादमी के पूर्व छात्र हैं. वो डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन और हायर कमांड कोर्स, महू के पूर्व छात्र हैं. उन्होंने रक्षा अध्ययन में मास्टर डिग्री, रक्षा और प्रबंधन अध्ययन में एम. फिल डिग्री प्राप्त की है और वर्तमान में अपने डॉक्टरेट की पढ़ाई कर रहे हैं.
भदौरिया भी रेस में–
इस बीच सीडीएस बनने की रेस में एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया का नाम भी चल रहा है. भदौरिया जून 1980 में IAF की फाइटर स्ट्रीम में शामिल हुए और 42 साल की सेवा के बाद सेवानिवृत्त हुए, जिसके दौरान उन्होंने दो मेगा फाइटर एयरक्राफ्ट सौदों में अहम भूमिका निभाई. इसमें 36 राफेल और 83 मार्क 1 ए स्वदेशी तेजस जेट शामिल थे. भदौरिया ने 4,250 घंटे से अधिक की उड़ान भरी है और उन्हें 26 से अधिक विभिन्न प्रकार के लड़ाकू जेट और परिवहन विमान उड़ाने का अनुभव है.