मालंच नई सुबह

सच हार नही सकता

साहित्य

सबका मालिक एक

सबका मालिक एक

–ऋचा वर्मा      

मैं कभी राम बनता,

कभी बनता रहमान,

कभी खुदा कह पुकार लो,

कभी कृष्ण का दे दो नाम ।

ऊपर से सब आतें हैं बन के बस मानव,

धरती पर अपने कुकर्मों से कहलातें हैं दानव।कोई पढ़ता है गीता,

कोई पढ़े कुरान,

ध्येय है करना ऊपरवाले का गुणगान।

हिन्दू के घर आये तो कहलाये प्रवीण,

मुस्लिम के घर आये तो बन गये नदीम।

मैं हूं एक बालक जन्म से मासूम,

हिंदू क्या है मुस्लिम क्या है मुझे नहीं मालूम।

ये तो बड़ों  की बातें हैं,

 वे ही करते तकरार,

भ्रम को फैलातें हैं,

और बनातें हैं समाचार।

देखो मैं एक छोटा बच्चा हूं,

उम्र का कच्चा और दिल का सच्चा हूं।

मुझसे तुम पूजा करवा लो,

या पढ़वा लो नमाज़,

हम बच्चों से ईश्वर कभी न होंगे नाराज।

विनती है आप सबसे बनें आप सब नेक,

बात यह पक्की है सब का मालिक एक।

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