मालंच नई सुबह

सच हार नही सकता

सम्पादकीय

ये कौन होते हैं?

प्रेमलता सिंह,पटना

“औरत की त्रियाचरित्र दैय्यो ना जानें।” ये कहावत कहते घर हो या बाहर पुरूष दिख ही जाते है। चौक- चौराहे, पार्क हो जहाँ पांच दस पुरुष मंडली बैठे नही की बातचीत शुरू कर देते हैं। औरतों के खाने से लेकर पहनावे ,संस्कारकी बातें।

कोई बोलता है जानते हो भाई आजकल की औरतें जीन्स, कुर्ता, हॉट पैंट, टीशर्ट पहनने लगी हैं। जिससे स्वच्छंद उभार देखकर किसी का भी मन बेकाबू होगी ही, ऐसे में बलात्कार की घटना बढ़ना ही हैं।

इन औरतों को थोड़ा भी शर्म हया नहीं है। इनको देखकर मनचले गन्दी कमेंट पास करेंगे ही। दूसरा बोला बलात्कार की जम्मेदार खुद महिलाएं ही होती हैं। खुद चलने का ढंग नहीं जब बलात्कार हो जाएगा तो पुलिस केस करेंगी, शोर शराबा , रैली निकालेगी और हो जाता है रोना धोना शुरू। तभी तीसरा बोला भाई अब तो घूंघट प्रथा का खात्मा ही हो गया। पहले के लोग अच्छे थे जो अपने घर के बहु बेटियों को घर से बाहर नहीं जाने देते थे।ऐसी बातें आम जीवन में देखने सुनने को मिल जाता हैं।

समाज के लोगों का कहना है किसी औरत के ख्याल में परपुरुष का विचार आना भी पाप के समान है।

औरतें स्वच्छंद होकर जीना  चाहे या पर्दा का विरोध करें तो पुरूष वर्ग औरतो को सजा देने के लिए व्याकुल हो जाते है ऐसा क्यों ?

अपनी माँ- बहन को आदर्श और पत्नी को चरित्रवान मानते हैं इसके अलावा तमाम नारियों का सम्मान करना क्यों भूल जाते हैं?

आदिकाल से पुरुषों द्वारा तय किया गया मापदंडों आज भी अपने सोच में रखते हैं। तथाकथित आधुनिक सोच के मर्द भी  आधुनिक सोच वाली औरतों को प्रेमिका के रूप में ही स्वीकार करना चाहते है। इनको पत्नी के रूप में वही पुरानी सोच वाली औरत चाहिए जिसको ये गुलाम बना सके। ऐसी महिला को ही जीवनसाथी बनाना पसंद करते है ऐसा क्यों?

 क्या महिलाओं के पास अपना बुद्धि विवेक नहीं जो अपनी बात किसी के पास नहीं रख सकती? औरतें अगर सही या अछि सुझाव दे तो आप पुरुषों को क्यों नहीं बर्दाश्त होती?एक कहानी याद आ गया। दुर्गा को एक पुरुष मित्र का फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट आया वो उसके पोस्ट की जांच परख कर उसे अपना मित्र लिस्ट में जोड़ ली।थोड़ा ही देर में पुरुष मित्र का इनबॉक्स में हाय, कैसी हैं मैडम…?

दुर्गा चिढ़ गई और जबाब दी मैं कैसी हुँ उससे आपको क्या लेना देना? जान न पहचान आये हैं हाल चाल पूछने… तब वो पुरुष मित्र बोला जब आपको मुझसे बात नहीं करनी थी तो मुंह मित्र क्यों बनाई? तब दुर्गा बोली ताकि हम पब्लिक प्लेटफार्म पर सभी की अच्छे विचार जान सके और कुछ लोग अच्छी विचारों से अवगत हो सकें। मेरे पतिदेव अगर आपकी पत्नी से इसी प्रकार की इश्क़ की बातें करना चाहे तो आपको कैसा लगेगा? कहते हुए दुर्गा ने उसे ब्लॉक कर दी… इस कहानी से कुछ लोगों का औरतों के प्रति घटिया मानसिकता का पता चलता है।जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनी थी तो तब कुछ पुरुष वर्ग बोलते थे।महिला को नाक नही हो तो मैला खाएंगी। ऐसी बातें छोटी सोच को दर्शाता है। तुलसीदास का दोहा ढोल, गवार,शुद्र, नारी सब है तारण की अधिकारी। नारी जानवर है जो उसे मारा पीटा जाए?कुछ सवाल है आप कौन होते हैं मापदंड तय करने वाले कि महिला क्या पहनेंगी, क्या करेगी, कहाँ जाएगी, पर्दा करेगी या नही??? पुरुषों की मानसिकता पर तरस आती है कोई महिला हँसकर बात क्या कर ली, वो चरित्रहीन और बात नहीं कि तो घमंडी……..?

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