मालंच नई सुबह

सच हार नही सकता

सम्पादकीय

धरती को पेड़ों के आभूषण से सजाना होगा

निक्की शर्मा ‘रश्मि’ मुम्बई

पर्यावरण संरक्षण, वृक्षारोपण, जीव – जंतु, पशु – पक्षी प्रकृति की गोद में पल रहे सभी जीव जंतु के जीवन को प्रकृति के अनुरूप बनाए रखने के लिए सबसे जरूरी है प्रकृति के संतुलन को बनाए रखना। जल, जमीन, जंगल पर मंडराता संकट कहीं ना कहीं प्रकृति के संतुलन को नुकसान भी नहीं बहुत बड़ा नुकसान पहुंचा रहा है। इसे सहज और सरल बनाकर रखने का कार्य हम सभी को करना होगा। पर्यावरण की सुरक्षा एक चुनौती है ग्रामीण संस्कृति की ओर लौटे तो हमें बहुत सारी बातें और तथ्य सामने आएंगे। पेड़ों के नीचे बैठे घंटों समय बिताना, उनकी छांव में सोना,उनके नये कोमल पत्तों को चबाना,दातुन करना ये सब हमारे शरीर को सेहतमंद बनाता था। पर्यावरण शुद्ध हुआ करता था क्योंकि पेड़ों की संख्या बहुत अधिक थी।

अब हर और पेड़ों को काटकर रास्ते बिल्डिंग बनाए जा रहे हैं लेकिन उनकी जगह पेड़ कम से कम लगाए जा रहे हैं।  जिसका नुकसान आज महामारी के रूप में दस्तक दे चुका है। आने वाली

पीढ़ी के लिए और नुकसानदायक होगा। अगर हम अभी नहीं चेते तो नुकसान की भरपाई संभव नहीं होगी। वायुमंडल के प्रदूषण को साफ करने का तरीका आज तक नहीं खोजा जा सका है। प्रकृति प्रेमी बनना एक तरीका है जिससे पीपल, नीम, तुलसी, बरगद और तमाम हरे-भरे पौधे लगाकर इस नुकसान से बचा जा सकता है। प्रदूषण को साफ कर सकते हैं जीवनदायिनी वृक्ष के रूप में पीपल लगा कर।जो सर्वाधिक जरूरी है।

पीपल एक ऐसा वृक्ष है जो 24 घंटे ऑक्सीजन देता है। पर्यावरण प्रदूषण को दूर करता है, तो पीपल हर जगह लगाने की कोशिश ज्यादा से ज्यादा होनी चाहिए। भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है पीपल के वृक्ष में मेरा स्वरूप है। सभी वृक्षों में “मैं पीपल का वृक्ष हूँ”। अगर हम अपनी संस्कृति की तरफ लौटें तो स्कंद पुराण में वर्णित है पीपल के फलों में सभी देवताओं का वास है।

पर्यावरण की सुरक्षा के लिए धरती पर वृक्षों को उसी तरह सजाना होगा जैसे नारी शरीर पर आभूषण सजा हो। धरती को पीपल, नीम, तुलसी के पेड़ों के आभूषणों से सजाना होगा। इन पेड़ों पर पक्षियों के कलरव और उनका बसेरा होगा। साथ ही हवा शुद्ध 100% होगी। पेड़ है तो हम हैं। पेड़ लगाएं जीवन बचाएं।नयी पढ़ी को सुंदर सौगात देकर जाएं।

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