मालंच नई सुबह

सच हार नही सकता

साहित्य

वह सम्मान करती है

——-डा.सीमा रानी

वह सम्मान करती है

आत्म सम्मान रखती है

हर बात मान नहीं लेती

मान रखती है

फर्क पता है उसे

सही गलत में

तभी तो फंस जाती है

कांटा बनके

हलक में

उसे सूझता है

साफ-साफ किधर है रस्सी किधर सांप

तुमने रौंदा है

पृथ्वी और सृजन को

जिसने पैदा किया सृष्टि की किरण को

देखना किरणों की प्रचंडता

भून डालेंगी तुम्हें

धुआं बनकर

बिखर जाओगे

वायुमंडल में

सोख लेगी अकड़

भीषण बवंडर में

फिर दुनिया में

न आ पाओगे तुम

न दुनिया को बदशक्ल

बना पाओगे तुम

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