मालंच नई सुबह

सच हार नही सकता

साहित्य

कविता के माध्यम से जीवंत हो उठती है,रक्षाबंधन पर्व- सिद्धेश्वर

 पटना/पटना डेस्क(मालंच नई सुबह )  ! 23/08/2021! “भाई-बहन के दिलों के बीच आई खामोशी, उदासीनपन और  शिकवा-शिकायत को,  दूर करने का सार्थक और सकारात्मक  पर्व है रक्षाबंधन !जीवन में सुख दु:ख आते जाते रहते हैं और कविता उसकी आहट सुना करती है!  यह रक्षाबंधन एक भावना, एक संदेश के माध्यम से,  भाई बहन के प्यार के उत्कर्ष को स्पर्श करती है, जिसका माध्यम  होता है शब्द ! शब्द  यानी कविता की जीवंत भाषा का एक सशक्त माध्यम, जो अपने चंद पंक्तियों में ही भाई -बहन के प्रेम को जाने-अनजाने उदघोषित कर देता है ! यानी  कविता के माध्यम से जीवंत हो उठती है,  रक्षाबंधन पर्व!!

 रक्षाबंधन के अवसर पर आयोजित ” हेलो फेसबुक कवि सम्मेलन ” का संचालन करते हुए, उपरोक्त उद्गार  संस्था के अध्यक्ष सिद्धेश्वर ने व्यक्त किया है !                            चर्चित कवयित्री डॉ आरती कुमारी (मुजफ्फरपुर ) की अध्यक्षता में, कवि सम्मेलन का आरंभ, लोकप्रिय संगीतकार और गायक सत्येंद्र संगीत के मधुर भोजपुरी गीतों से हुआ – ” राखी हर साल कहेले सवनवा से, भैया बहनी के हरदम रखिय ख्यालवा में !”  इसके बाद  सिद्धेश्वर ने एक नज़्म प्रस्तुत किया – ” मेरे घर का कुंदन है तू !/पवित्र प्रेम का बंधन है तू !/मेरी बहना मेरे घर की !/ चंदन और अभिनंदन है तू !!“

 इसके बाद तो  एक से बढ़कर एक कविताओं का जो अनवरत सिलसिला चला,  वह लगभग तीन घंटे तक चलता है ! राज प्रिया रानी ने- ” ओस की पहली बूंद भैया, शीप बन मैं इठलाऊंगी, माथे का सिकन चुरा के तेरा, शगुन थाल मैं बन जाऊंगी !” आरती कुमारी ने -“सावन में लाई राखी त्यौहार पूर्णिमा, भैया के माथे सजती रोली लालिमा ! और दुनिया की नज़रों से बचाकर साथ रखना है ! /मेरी चाहत का ख़त हो तुम छुपाकर साथ रखना है !””

 ऋचा वर्मा ने – ”  रक्षाबंधन के पावन अवसर पर, मर्माहत  कर गई मासूम बच्ची की उदासी  !”/कालजयी घनश्याम ( नई दिल्ली) ने- ”  सरहद से आ भैया, बैठे लिए राखी,  मन है उदास भैया !”/ डॉ सविता सिंह मागधी ने – “राखी का नहीं कोई मोल, राखी तो माँगे बस स्नेह के बोल.!”/रंजु  सिन्हा ने – ” राखी का थाल सजाए बैठी, बहन  देखती राह  है !/ रामनारायण यादव( सुपौल )ने “आंगन में पड़े सावन की फुहार,  उमडल नदिया अब चले पतवार, आई रक्षाबंधन का त्यौहार !“

 रक्षाबंधन उत्सव पर आयोजित इस कवि सम्मेलन में इनकी भी सहभागिता रही – ”  दुर्गेश मोहन, अपूर्व कुमाऱ,  अलका वर्मा, महादेव मंडल, अनुभव रंजन, दीपाली, अमरेश कुमार, पूनम वर्मा, डॉ शिवनारायण, एकलव्य  केसरी,  आलोक चोपड़ा, मनोज उपाध्याय आदि  !

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