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सम्पादकीय

महिला सशक्तिकरण के तहत राष्ट्रपति पद के एनडीए उम्मीदवार है द्रौपदी मुर्मू

महिला सशक्तिकरण के तहत राष्ट्रपति पद के एनडीए उम्मीदवार है द्रौपदी मुर्मू

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना

द्रौपदी मुर्मू ने भुवनेश्वर स्थित रमादेवी महिला कॉलेज से स्नातक (बीए) की डिग्री हासिल की है। उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत एक शिक्षक के रूप में शुरू की थी। उसके बाद वह राजनीति में आ गई। द्रौपदी मुर्मू ने वर्ष 1997  में पार्षद के रूप में राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की। इसके 3 साल बाद 2000 में पहली बार विधायक बनी और फिर भाजपा-बीजेडी सरकार में दो बार मंत्री भी रही। झारखंड में पहली महिला राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू  बनी और देश के किसी प्रदेश की राज्यपाल बनने वाली देश की पहली आदिवासी महिला बनी।

भारत के राष्ट्रपति पद के एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना लगभग तय प्रतीत होता है। देश में एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के चयन से पूरे देश में खुशी का माहौल है। भाजपा संसदीय दल का यह निर्णय वास्तव में जनजातियों और महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में भाजपा की नीतियों का ही प्रतिबिंब करता है।

ओडिशा और आंध्र प्रदेश की सरकार ने राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के समर्थन में घोषणा कर दिया है। बिहार सरकार भी द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में खड़ी दिख रही है। वहीं उत्तर प्रदेश एनडीए की सरकार है। सभी समर्थन वाली पार्टी एकजुट दिख रही है। देखा जाए तो कमोवेश विपक्ष भी द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में दिख रहे है। दूसरी तरफ यशवंत सिन्हा जो विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार हैं जिन्हें विपक्ष के लोग भी एकजुट होकर उनके साथ खड़े नही है।

ओडिशा में जन्मी द्रौपदी मुर्मू मध्य प्रदेश की ही नही, जनजाति समाज की ही नही, बल्कि  पूरे देश को आज गर्व की अनुभूति हो रही है। जहां तक मै समझता हूँ कि देश के इतिहास में यह पहली बार होगा जब कोई पूर्व पार्षद राष्ट्रपति बनने के बेहद करीब है। राष्ट्रपति प्रत्याशी के रूप में  द्रौपदी मुर्मू के चयन ने भले ही उन लोगों को चौका दिया हो, जो राष्ट्रपति पद को एक विशेष दायरे में सीमित करके देखते है।

द्रौपदी मुर्मू ने भुवनेश्वर स्थित रमादेवी महिला कॉलेज से स्नातक (बीए) की डिग्री हासिल की है। उन्होंने अपने जीवन की शुरुआत एक शिक्षक के रूप में शुरू की थी। उसके बाद वह राजनीति में आ गई। द्रौपदी मुर्मू ने वर्ष 1997  में पार्षद के रूप में राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की। इसके 3 साल बाद 2000 में पहली बार विधायक बनी और फिर भाजपा-बीजेडी सरकार में दो बार मंत्री भी रही। झारखंड में पहली महिला राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू  बनी और देश के किसी प्रदेश की राज्यपाल बनने वाली देश की पहली आदिवासी महिला बनी।

सबसे लम्बे समय तक इस पद पर बनी रही। झारखंड की राज्यपाल रहते हुए पक्ष और विपक्ष दोनो ही उसकी कार्यशैली के मुरीद रहे है। द्रौपदी मुर्मू को  ओडिशा के सर्वोत्तम विधायक को दिया जाने वाला निलकंठ पुरस्कार भी मिला है। द्रौपदी मुर्मू अपनी साफ छवि और बेबाक फैसलों के लिए जानी जाती है।

एनडीए की ओर से राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को बनाये जाने से भारतीय जनता पार्टी  की यह बात कि “सबका साथ, सबका विकास और सबके प्रयासों के साथ समाज के वंचित पीड़ित शोषित वर्गों का प्रतिनिधित्व दिलाने की बात प्रमाणित होता दिख रहा है। बीते वर्षों में आदिवासियों और महिलाओं के हितों में भाजपा की केन्द्र और राज्य सरकारों ने जो काम किए है, वो अभूतपूर्व है। भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में मनाने के निर्णय तक पूरे देश के लिए अनुकरणीय है।

द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति प्रत्याशित नामांकित किये जाने का निर्णय महिला एवं जनजातीय कल्याण के अटूट संकल्प का प्रतिबिम्ब प्रतीत होता है। द्रौपदी मुर्मू ने अभी तक अपने सभी दायित्वों को बहुत अच्छे से निभाया है, चाहे वह शिक्षक का हो, संगठन का हो, जन प्रतिनिधि का हो या फिर राज्यपाल का। आशा की जानी चाहिए की देश के सर्वोच्च पद पर पदस्थ हो कर वे इस भूमिका में भी नये कीर्तिमान बनायेगी।

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