मालंच नई सुबह

सच हार नही सकता

सम्पादकीय

देश मे अघोषित आपातकाल की स्थिति और केंद्रीय सत्ता की हार की स्वीकारोक्ति

 

नीरव समदर्शी

आज एक तरफ तो अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया गया और दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी के बैंकों को फ्रिज कर दिया गया। इन दो घटनाओं की वजह से इलेक्ट्रोरल बॉन्ड में नामो की खुलासा की खबर गौण हो गई।
सभी लोग यह जानते हैं कि किसी भी राजनीतिक पार्टी को आयकर से मुक्त रखा गया है। इसलिए अगर कांग्रेस पार्टी के द्वारा कानूनी तौर पर कहीं कोई चूक रह भी गई है तो यह कोई बड़ा आर्थिक आपराधिक मामला नहीं है। बावजूद इसके देश के प्रमुख विपक्षी दल के बैंक अकाउंट को ठीक चुनाव के समय में आकर फ्रीज कर दिया जाना इस बात को इंगित करता है कि केंद्रीय सत्ता को उनके अपने निजी स्रोतों से यह जानकारी हासिल हो चुका है कि साफ सुथरी और ईमानदारी से होने वाले चुनाव में वह पुनः सरकार में नहीं आ सकते।
अब बात रही ईडी के द्वारा कांग्रेस के बैंकों को फ्रिज किस आधार पर किया गया तो जब राजनीतिक दलों को आयकर से मुक्त रखा गया है भारतीय जनता पार्टी सहित किसी भी राजनीतिक दल ने कभी कोई आयकर जमा नहीं किया  है तब ऐसे में ऐसी कौन सी चूक हो गई जिसके वजह से कांग्रेस पार्टी के बैंकों को फ्रिज किया गया है।
बैंक अकाउंट को फ्रिज क्यों किया जाता है? अगर अकाउंट में कोई अपराधिक पैसा हो या फिर अकाउंट होल्डर के ऊपर सरकार या किसी पार्टी का बहुत ज्यादा बकाया हो तब इस बात की संभावना रहती है कि अकाउंट होल्डर के रुपया निकाल लेने से रुपया वसूली कठिन हो जाएगी।     यहां तो कानूनी तौर पर राजनीतिक दलों को आयकर से मुक्त रखा गया है। फिर इस तरह की कोई संभावना ही नहीं है और फिर जिन दो मामला के आधार पर ऐसा किया गया है उन में से एक मामला 1994 का है जब सीताराम केसरी कांग्रेस के अध्यक्ष थे और दूसरा मामला 2016 का है। केंद्र में पिछले 10वर्षो से वर्तमान केंद्र सरकार ही सत्ता में है। बावजूद इसके इतने वर्षों तक कुछ नहीं किया गया और आज ठीक चुनाव के वक्त इसे इतना बड़ा आपराधिक मामला बताया गया है कि एक चुनी हुई मुख्य विपक्ष के बैंक अकाउंट को ठीक चुनाव के समय इस तरह से फ्रीज कर दिया गया कि उसके पास चुनाव लड़ने को कुछ पैसा बचे ही नहीं। चुनाव के बाद अगर कांग्रेस पार्टी इस मामले में निर्दोष साबित भी हो जाएगी उनका अकाउंट खोल भी दिया जाएगा तो भी चुनाव में कांग्रेस को जो नुकसान होना होगा। वह तो हो चुका होगा तो इस मामले में स्थिति और सरकार के रवैए सरकार के नियत और सरकार की कमजोरी को स्पष्ट कर रहा है।
अब अगर अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी को ही देखा जाए तो तो अरविंद केजरीवाल को जिस मामले में गिरफ्तार किया गया है उसी मामले में उनके उपमुख्यमंत्री मनीष से सिसोदिया और सांसद संजय सिंह को गिरफ्तार करके रखा गया है । मामला यह है कि इन लोगों के ऊपर आरोप लगाया गया है कि इन लोगों ने शराब नीति के माध्यम से खास पार्टी को सहयोग देकर पार्टी फंड में चंदा लिया यह अपराध कितना बड़ा है ?देश में सबसे अधिक मात्रा में इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले मिस्टर मार्टिन के ऊपर लगातार ईडी की कार्यवाही के बाद ही उनके द्वारा 1360 करोड़ के बॉन्ड मिस्टर मार्टिन के बॉन्ड को जिस पार्टी ने भंजाया या फिर इडी को अपने मुताबिक चलाने वाली केंद्रीय सत्ताधीष के अपराध से बड़ा है या नही। इन बातो के विश्लेषण के बाद जनता अपना निर्णय सुनाएगी ही। फिलहाल तो दृष्टिगोचर यह बात है कि प्रमुख विपक्षी दलों के लोकतांत्रिक तरीके से भारतीय जनता पार्टी के अपेक्षा अधिक मजबूती से चुने हुए मुख्यमंत्री को जिस प्रकार से गिरफ्तार कर अघोषित आपात कल की स्थिति पैदा कर देने वाली केंद्रीय राज सत्ता को क्या यह विश्वास हो गया है कि वह सीधे तरीके से बिना अलोकतांत्रिक कार्य किए चुनाव नहीं जीत सकते हैं ?

LEAVE A RESPONSE

Your email address will not be published. Required fields are marked *