जीवन टिका है प्राकृतिक पर्यावरण पर

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जीवन टिका है प्राकृतिक पर्यावरण पर

जितेन्द्र कुमार सिन्हा, पटना

इंसान भौतिक सुखों की प्राप्ति और अपना विकास करने की चाहत को लेकर पर्यावरण के साथ खिलवाड़ करने से भी नहीं चूक रहे हैं। मनुष्य चंद लालच के चलते पेड़-पौधे को काट कर प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है, जिसका बुरा असर हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है। हम सभी लोग जानते है कि हमारा जीवन पूरी तरह से पर्यावरण पर निर्भर है और एक स्वच्छ वातावरण से ही स्वस्थ समाज का निर्माण होता है, जबकि जीवन जीने के लिए पर्यावरण उपयोगी है और उपहार के रूप में वो सारी चीजें हमें उपलब्ध करवाता है।

पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करने और प्राकृतिक पर्यावरण के महत्व को समझने  के लिए प्रत्येक वर्ष 5 जून को “विश्व पर्यावरण दिवस” (World Environment Day) के रूप में मनाया जाता है।

आज पूरा विश्व समुदाय को कोरोना महामारी झकझोर दिया है, वहीं हमारे देश के कुछ राज्यों में आमतौर पर इंसानी बस्तियों एवं सुदूर जंगलों में बरगद-पीपल जैसे बड़े-बड़े पेड़ो पर आशियाना बनाने वाले कौओं सहित अन्य पक्षियों की हो रही सिलसिलेवार मौत हमलोगों को सकते में ला दिया है। वहीं कई राज्यों में प्रवासी पक्षियों की तादात बहुत कम देखी जा रही है। पेड़ के कटने से पक्षियों के प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं और पक्षियों को अब मानव निर्मित कृत्रिम आवासों पर निर्भर होना पड़ रहा है। शहरीकरण की बढती रफ्तार व बड़े वृक्षों की तेजी से कम होती संख्या का पक्षियों के साथ-साथ सभी जीवों पर प्रतिकूल असर पड़ने लगा है। खेती-बाड़ी में रासायनिक खादों और कीटनाशकों का दिनोदिन अत्यधिक इस्तेमाल होने के कारण जीवों की कई प्रजातियाँ या तो नष्ट हो गया है, नहीं तो, इसका असर बड़े जीव-जन्तुओं पर पड़ने लगा है।

वर्तमान समय में इंटरनेट और इलेक्ट्रॉनिक सामानों का दायरा भी बढ़ता जा रहा है, ऐसी स्थिति में जीवों के साथ-साथ इंसानों के लिए घातक सिद्ध होने लगा है। यदि समस्या का समाधान समय रहते प्रभावी ढंग से नहीं निकाला गया तो आने वाले समय में पूरी जैव-विविधता के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है।

पर्यावरण से ही हमें शुद्ध जल, शुद्ध वायु, शुद्ध भोजन, प्राकृतिक वनस्पतियां आदि मिलती है, लेकिन इसके विपरीत आज लोग अपने स्वार्थ और चंद लालच के लिए जंगलों का दोहन कर रहे हैं, पेड़-पौधे की कटाई कर रहे हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ रहा हैं, जिसका असर हमारे और पशु पंछियों पर पड़ा रहा है।

सर्वविदित है कि जंगल मानव सहित सभी जीवों को जीवन देता है। लेकिन जंगलों से बड़े एवं फलदार पेड़ों के नष्ट होने से वन्यजीवों व पक्षियों पर इसका स्पष्ट दिखाई देने लगा है। जंगलों से बरगद, पीपल, गूलर, रेणी, आम, सहजन, गुरजन, तेंदू, बीजा, महुआ, इमली, केंत, गूंदी, नीम, कटहल, खजूर, पलाश, पारस पीपल, जामुन, अर्जुन, जंगल जलेबी, अमलतास, देशी बबूल व बिल्व-पत्र जैसे महत्वपूर्ण पेड़ों की अवैध कटाई होने के कारण अब यह लुप्त प्राय हो रहे है। इसका असर राष्ट्रीय पक्षी मोर, कौआ, उल्लू, तौते, मैना सहित कई प्रजातियों पर दिखाई पड़ने लगा है।

शांतिपूर्ण और स्वस्थ जीवन जीने के लिए एक स्वच्छ वातावरण बहुत जरूरी है, लेकिन हमारे पर्यावरण मनुष्यों की कुछ लापरवाही के कारण दिनों दिन गंदे हो रहा है। पर्यावरण जीवन को विकसित और पोषित करने में मद्द करता है। पर्यावरण, जलवायु के संतुलन में भी मदद करता है और मौसम चक्र को ठीक रखता है। सीधे तौर पर कहें तो मानव और पर्यावरण एक–दूसरे के पूरक है। पर्यावरण प्रदूषण की वजह से जलवायु और मौसम चक्र में परिवर्तन, मानव जीवन को कई रूप में प्रभावित कर रहा है और तो और यह परिवर्तन मानव जीवन के अस्तित्व पर भी गहरा खतरा पैदा करता दिख रहा है।

पर्यावरण को बचाने के लिए हम सभी लोगों  को मिलकर उचित कदम उठाना चाहिए। हम लोगों को ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए और पेड़ों की कटाई पर पूरी तरह रोक लगानी चाहिए। अगर हम लोग इन बातों पर गौर करेंगे और पर्यावरण को साफ-सुथरा बनाने में अपना सहयोग करेंगे तभी एक स्वस्थ समाज का निर्माण हो सकेगा।

पर्यावरण का संधि विच्छेद “परि+आवरण” होता है और  परि का अर्थ होता है चारो ओर और आवरण का अर्थ होता है ढका हुआ अर्थात जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है, पर्यावरण कहलाता है। जबकि मनुष्य अपने स्वार्थ के के लिए पेड़-पौधे की कटाई कर रहा है, प्राकृतिक संसाधनों से खिलवाड़ कर रहा है, जिसके कारण पर्यावरण को काफी क्षति पहुंच रही है, जिससे वायुमंडल, जलमंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं, धरती का तापमान बढ़ रहा है और ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो रही है, जो कि मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए काफी खतरनाक है।

इसलिए भी पर्यावरण को बचाने में सहयोग करना चाहिए।

वायु, जल, अग्नि, आकाश, थल ऐसे पांच तत्व हैं, जिस पर मानव जीवन टिका हुआ है और यह सब हमलोगों को पर्यावरण से मिलता है। हमलोगों को मिलकर वन क्षेत्रों के साथ-साथ चारागाह एवं सार्वजनिक भूमि पर फलदार पेड़ लगाने का अभियान शुरू करना चाहिए ताकि समय रहते स्थिति को संभाला जा सके। हमलोग जानते हैं कि प्रकृति में संतुलन के लिए हर जीव-जन्तु और वनस्पति का महत्वपूर्ण स्थान एवं अहम भूमिका होती है। छोटे जीव चींटी से लेकर बड़े जानवर हाथी तक का जीवन चक्र एक संतुलित खाद्य श्रंखला पर निर्भर रहता है और इसका सीधा असर पूरी जैव-विविधता पर पड़ती है, जिससे इससे मानव भी नहीं बच सकता है।

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