मालंच नई सुबह

सच हार नही सकता

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UPI का डंका, भारत बदलेगा वर्ल्ड ऑनलाइन पेमेंट की तस्वीर

UPI का डंका, भारत बदलेगा वर्ल्ड ऑनलाइन पेमेंट की तस्वीर

प्रतिनिधि मालंच नई सुबह,
यूनाइटेड पेमेंट इंटरफेस (UPI) अप्रैल 2016 तक अनसुना या अविश्वसनीय शब्द था। वहीं आज हर किसी की जुबान पर यह शब्द मौजूद है। कुछ साल पहले तक किसी ने भी नहीं सोचा होगा कि किराने से लेकर मॉल तक इसका इस्तेमाल होगा।आज घर से निकलने पर वॉलेट के भूल जाने पर भी बेफिक्र हो जाते हैं। वहीं, कुछ साल पहले घर से निकलते वक्त पर्स में कितने रुपये हैं इसकी ओर ध्यान जाता था। माना यूपीआई के शुरुआती साल उतने कामयाब नहीं थे पर वहां 2021 तक बाजार यूपीआई की हिस्सेदारी में जबरदस्त बढ़त देखने को मिली है। 2016-2017 तक क्रेडिट कार्ड के जरिये पेमेंट 36 फीसदी होती है और उस समय यूपीआई की हिस्सेदारी 6 फीसदी ही थी। दूसरी ओर वित्त वर्ष 2021 में यूपीआई की हिस्सेदारी 63 फीसदी हो गई और क्रेडिट कार्ड के जरिये हो रहे भुगतान केवल 9 फीसदी रह गया था। यूपीआई केवल भुगतान करने का जरिया ही नहीं रहा, बल्कि इसके जरिये कई लाखों लो डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म से भी जुड़ गए। ऐसे में यह कहना बिल्कुल भी अतिशयोक्ति नहीं होगा कि यूपीआई ने भारत की तस्वीर को बदलने में अहम रोल निभाया है। यूपीआई के आने से पहले भले ही नेट बैंकिंग शुरू हो गई थी। लेकिन, उस समय भी लोगों नेट बैंकिंग की जगह पर फिजिकल बैंकिंग को ज्यादा पसंद करते थे। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह थी विश्वास की कमी। दरअसल, कई लोगों का मानना था कि नेट बैंकिंग के जरिये उनके साथ फ्रॉड हो सकता है। ऐसे में यूपीआई ने लोगों के बीच अपनी पहचान बनाई। आज लोग किराने की दुकान पर भी छोटी से छोटी चीज का भुगतान यूपीआई के जरिए करते हैं। देश के बैंक भी कैशलेस को बढ़ावा देने के लिए यूपीआई की मदद कर रहे हैं। कई बैंक अपने डेबिट और क्रेडिट कार्ड को यूपीआई से लिंक करने की सुविधा दे रहे हैं। ऐसे में लोगों का झुकाव यूपीआई की ओर बढ़ रहा है। अगर आप अपने आस पास ही देखें तो आप पाएंगे कि आज के समय में हर व्यक्ति के फोन में यूपीआई या फिर भीम यूपीआई (BHIM UPI), फोनपे, पेटीएम, गूगल पे, स्लाइड और मोबिक्विक जैसे ऑनलाइन पेमेंट ऐप होगा।

 

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