मालंच नई सुबह

सच हार नही सकता

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*दुर्भाग्य : 48 करोड़ की सड़क पर चलना हुआ मुहाल, लोगों ने धान रोपकर जताया विरोध, नाली बनाने का टेंडर भी रद्द

*दुर्भाग्य : 48 करोड़ की सड़क पर चलना हुआ मुहाल, लोगों ने धान रोपकर जताया विरोध, नाली बनाने का टेंडर भी रद्द

धनबाद/प्रतिनिधि(मालंच नई सुबह)धनबाद :* धैया रानीबांध के सामने 48 करोड़ की फोर लेन सड़क पर घुटने तक पानी जमा है। पैदल चलना तो दूर की बात गाड़ियों से इसे पार करना तक मुश्किल हो गया है। पानी निकासी की समुचित व्यवस्था न होने से आजिज आकर स्थानीय लोगों ने अनूठे तरीके से प्रदर्शन किया।
*पानी से लबालब भरे सड़क पर लोगों ने रोपा धान*
नगर निगम, पथ निर्माण विभाग और आइआइटी आइएसएम प्रबंधन का ध्यान आकृष्ट कराने के लिए शुक्रवार को सड़क पर ही धान रोप दिया। धान रोपने के साथ ही लोगों ने जोरदार नारेबाजी भी की। सभी संबंधित विभागों को जमकर कोसा।
प्रदर्शन कर रहे अमर कुमार और राजकुमार मंडल ने कहा कि पथ निर्माण विभाग ने सड़क ऊंची कर दी है। आईएसएम अपना गंदा पानी बहा रहा है, लेकिन बरसात का पानी रोक दिया है। नगर निगम को इस परेशानी से कोई लेना-देना ही नहीं है। रानीबांध में पानी जाने पर पहले ही रोक है। सड़क से पानी निकलने की कहीं भी जगह नहीं है.
*सड़क मरम्‍मत के नाम पर ऊंची कर दी गई सड़क*
श्रमिक चौक से बरवाअड्डा तक फोर लेन सड़क बारिश की मार झेल रही है। सबसे अधिक नुकसान रानीबांध तालाब धैया के पास हो रहा है। रानीबांध तालाब के पास पहले भी जलजमाव होता रहा है, लेकिन इस बार स्थिति अलग है।
जलजमाव खत्म करने के लिए पथ निर्माण विभाग ने सड़क मरम्मत के नाम पर दो फीट सड़क ऊंची कर दी। दूसरी ओर आईआईटी आईएसएम ने अपने यहां से भी पानी निकलने का रास्ता रोक दिया है।
*48 करोड़ की लागत से बनी सड़क का हाल बेहाल*
इसका नतीजा यह निकला कि अब रानीबांध के सामने सड़क के दूसरी ओर की सड़क जलमग्न हो गई है। अभी तक इस ओर जलजमाव नहीं होता था। 48 करोड़ की लागत से बनी यह सड़क जलजमाव की वजह से आने वाले दिनों में टूटनी शुरू हो जाएगी।
*पानी की वजह से गड्ढे का नहीं चल पा रहा पता*
फिलहाल अभी की स्थिति नरकीय बनी हुई है। लोग इसमें गिरकर चोटिल हो रहे हैं। पता ही नहीं चल रहा है कि गड्ढा कहां है और समतल जमीन कहां है। इसकी वजह से गाड़ियां भी फंस जा रही है।
सड़क के साथ नाली बनाई नहीं गई कि पानी निकलकर आगे चला जाए। नगर निगम भी यहां 88 लाख रुपये की लागत से नाली बनाने जा रहा था, लेकिन स्थानीय विरोध एवं अन्य कारणों से इसका टेंडर भी रद्द हो गया।

 

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