मालंच नई सुबह

सच हार नही सकता

कहानि

अनोखा उपहार

माधुरी भट्ट सुमित्रा तीन दिन से लगातार डाकिया का इंतज़ार कर रही थी। साहित्यप्रेमी सुमित्रा की हर माह तीन-चार पत्रिकाएँ कुछ- कुछ दिनों के अंतराल पर आती रहती हैं, जिसमें उनकी भी रचनाएँ शामिल रहती हैं।डाकिया भी उनसे ख़ूब घुलमिल…