खबर नहीं खुद शहर को शहर कहाँ है
प्रियांशु त्रिपाठी शाम 5 बजे ट्रेन बनारस स्टेशन पर हमें सही सलामत उतार देती, और स्टेशन परिसर से बाहर निकलते की बहुत से अंजान चेहरे हमें देखते हैं और टोकते हैं “सर अॉटो”, “सर आईये हम ले चलते है”,…
प्रियांशु त्रिपाठी शाम 5 बजे ट्रेन बनारस स्टेशन पर हमें सही सलामत उतार देती, और स्टेशन परिसर से बाहर निकलते की बहुत से अंजान चेहरे हमें देखते हैं और टोकते हैं “सर अॉटो”, “सर आईये हम ले चलते है”,…