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साहित्य

सांस्कृतिक विरासत है लक्ष्मीपुर, कटिहार का ऐतिहासिक गुरुद्वारा

पटना I बिहार में पटना सिटी के तख्त श्रीहरमंदिर साहिब के बाद कटिहार जिले के बरारी प्रखंड स्थित लक्ष्मीपुर के ऐतिहासिक गुरु तेग बहादुर गुरुद्वारा का महत्वपूर्ण स्थान है। जहां एक ओर पटना साहिब का सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह का अवतरण होने के कारण विशेष महत्व है, वहीं लक्ष्मीपुर में गुरु नानक देव जी महाराज के अतिरिक्त नौंवे गुरु गुरु तेग बहादुर जी का चरण रज पड़ने, दशम गुरु गुरु गोबिंद जी महाराज द्वारा जारी हुकुमनामा और नवम गुरु द्वारा 40 किलो वजनी हस्तलिखित गुरु ग्रंथ साहिब रहने के कारण विशेष महत्व है I यहां प्रत्येक प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य पर देश-विदेश के श्रद्धालु मत्था टेकने और अनमोल धरोहर का दर्शन करने के लिए उमड़ पड़ते हैं I

बरारी प्रखंड में आसपास कुल आठ गुरुद्वारे हैं I इनमें लक्ष्मीपुर के अतिरिक्त कांत नगर, उचला, भंडारतल, हुसैना, भैंसदियारा, गुरुबाजार और भवानीपुर का गुरुद्वारा शामिल है I ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार सिखों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी महाराज 1506 ईसवी में जब बनारस के रास्ते बिहार आए तो वे गया, नवादा, राजगीर होते हुए पटना आए और फिर मानवता के कल्याण के लिए मुंगेर, भागलपुर, कहलगांव, कटिहार, राजमहल होते हुए बंगाल में दाखिल हुए और ढाका तक गए I उसी दौरान वे कांतनगर में कुछ दिनों तक रुके थे I गुरु नानक देव जी से प्रभावित होकर क्षेत्र के बहुत सारे लोगों ने सिख धर्म के रास्ते पर चल कर लोगों की सेवा करने का संकल्प लिया I बाद में वर्ष 1666 ईस्वी में असम जाने के क्रम में गुरु तेग बहादुर जी महाराज भी गंगा पार कर बरारी प्रखंड के कांतनगर पधारे थे । कहा जाता है कि क्षेत्र में उन दिनों नानक पंथियों एवं सिख संगतों की संख्या बहुत अधिक रहने के कारण गुरु तेग बहादुर यहां आने से अपने को रोक नहीं पाएं I वे यहां लगभग एक माह तक रुके और इस दौरान श्रद्धालुओं को कड़ाह में हलवा का प्रसाद गोला बनाकर वितरित किया गया। इसी कारण है कि कालांतर में यह स्थान काढ़ागोला के नाम से विख्यात हुआ। जब रेलवे स्टेशन बना तो उसका नाम भी काढ़ागोला रखा गया I काढ़ागोला  रेलवे स्टेशन कटिहार-बरौनी रेल मार्ग पर कटिहार से दूसरा रेलवे स्टेशन है I पहला रेलवे स्टेशन सेमापुर और दूसरा काढ़ागोला I  काढ़ागोला रेलवे स्टेशन से ऐतिहासिक लक्ष्मीपुर गुरुद्वारा की दूरी महज 5 किलोमीटर है जबकि कटिहार मुख्यालय की दूरी लगभग 35 किलोमीटर I

लक्ष्मीपुर गुरुद्वारे में गुरु तेग बहादुर जी महाराज से जुड़ी कई अनमोल धरोहर आज भी सुरक्षित है इनमें हस्तलिखित गुरु ग्रंथ साहिब प्रमुख है  जो लगभग 40 किलोग्राम का है I कहा जाता है कि गुरु तेग बहादुर जी के कटिहार प्रवास के दौरान अचानक बाढ़ आ जाने के कारण पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब गंगा नदी के आगोश में समा गया I लगभग 180 दिनों बाद जब बाढ़ का पानी उतरा तब गंगा नदी से यह पूरी तरह सुरक्षित मिला I यहां दशम गुरु गुरु गोविंद सिंह जी महाराज का हुक्मनामा भी उपलब्ध है, जिसके जरिए गुरु गोविंद सिंह जी महाराज क्षेत्र के श्रद्धालुओं से सीधा संवाद किया करते थे I

प्रत्येक वर्ष यहां गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी दिवस के अवसर पर देशभर के श्रद्धालु हजारों की संख्या में जुटते हैं I वैशाखी के अवसर पर भी यहां विशेष आयोजन होता है, जिसमें शबद-कीर्तन और ज्ञानी जत्था रागियों द्वारा भजन कीर्तन का आयोजन भी शामिल है, जो कई दिनों तक चलता है I

आस-पास बहुत नजदीक में आधा दर्जन से अधिक गुरुद्वारा रहने के कारण यहां सिखों की संख्या काफी अधिक है, विशेष कर लक्ष्मीपुर तो सिख बाहुल्य गांव है I यहां आकर आप अपने को मिनी पंजाब में महसूस कर सकते हैं I वैसे भी लक्ष्मीपुर गुरुद्वारा को बिहार के स्वर्ण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

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