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विभूती चौबीसा,’गार्गी’,फ्री लांस राइटर राजस्थान
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इन दिनों भारत मे सवार्धिक चर्चित विषय क्रिप्टो करेंसी और उस पर भारत सरकार द्वारा लगाए जाने वाले प्रतिबंध हेतु प्रस्तावित बिल।आखिर यह सब क्या है?क्या है यह कररिप्टो करेंसी?इसे प्रतिबंधित करने की आवश्यकता क्या है?आइए इस पर मंथन करें।भारत सरकार ने संसद में क्रिप्टो करेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ़ ऑफ़िशियल डिजिटल करेंसी बिल पेश करने का फ़ैसला लिया है। इस विधेयक के बारे में जानकारी अब तक सार्वजनिक नहीं है।लम्बे समय से युवा भारतीय बड़ी संख्या में क्रिप्टो करेंसी ख़रीद रहे हैं लेकिन इसको लेकर कोई आधिकारिक डाटा नहीं है उपलब्ध नही है।वे ऊँचा लाभ कमाने के मौक़े को छोड़ना नहीं चाहते हैं।
क्रिप्टो करेंसी किसी मुद्रा का एक डिजिटल रूप है। यह किसी सिक्के या नोट की तरह ठोस रूप में आपकी जेब में नहीं होता है।यह पूरी तरह से ऑनलाइन होती है और व्यापार के रूप में बिना किसी नियमों के इसके ज़रिए व्यापार होता है।इसको कोई सरकार या कोई विनियामक अथॉरिटी जारी नहीं करती है।इसमे लेन-देन संबंधी सभी जानकारियों को कूटबद्ध (Encrypt) तरीके से विकेंद्रित डेटाबेस (Decentrelised Database) में सुरक्षित रखा जाता है। हालाँकि अभी तक ऐसी मुद्रा को किसी देश के केंद्रीय बैंक की मान्यता नहीं प्राप्त है, जिसके कारण इनकी वैधता या भविष्य को लेकर भय बना रहता है।वर्तमान में विश्व भर में 1500 से अधिक क्रिप्टोकरेंसी प्रचलित हैं। पिछले दिनों सोशल मीडिया कंपनी फेसबुक द्वारा घोषित लिब्रा के अतिरिक्त बिटकॉइन, एथरियम आदि क्रिप्टोकरेंसी के कुछ उदाहरण हैं।क्रिप्टोकरेंसी के आविष्कार का मुख्य उद्देश्य वित्तीय लेन-देन में बैंकों या अन्य बिचौलियों की भूमिका को समाप्त करना था।मान्य बैंकिंग प्रक्रिया में लेन-देन के विवरण बैंकों द्वारा सत्यापित किया जाता है जबकि क्रिप्टोकरेंसी में किये गए विनिमय को ब्लॉकचेन तकनीकी के माध्यम से कई देशों में फैले विकेन्द्रित डेटाबेस द्वारा सत्यापित किया जाता है।
ब्लॉकचेन एक प्रकार का विकेंद्रीकृत बही-खाता होता है, जिसमें विनिमय से संबंधित जानकारी को कूटबद्ध तरीके से एक ब्लॉक के रूप में सुरक्षित किया जाता है।ब्लॉकचेन में दर्ज प्रत्येक आँकड़े (ब्लॉक) का अपना एक विशिष्ट इलेक्ट्राॅनिक हस्ताक्षर होता है, जिसे परिवर्तित नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही प्रत्येक ब्लॉक में पिछले ब्लॉक का इलेक्ट्राॅनिक हस्ताक्षर भी दर्ज होता है जिससे इन्हें आसानी से एक शृंखला में रखा जा सकता है।ब्लॉकचेन में एक बार किसी भी लेन-देन के दर्ज होने पर इसे न तो वहाँ से हटाया जा सकता है और न ही इसमें संशोधन किया जा सकता है।ब्लॉकचेन विनिमय की संपूर्ण जानकारी को एक स्थान पर सुरक्षित करने के बजाय हज़ारों या लाखों कंप्यूटरों में संरक्षित किया जाता है।किसी भी नए लेन-देन को डेटाबेस से जुड़े सभी कंप्यूटरों द्वारा सत्यापित किया जाता है,जिन्हें नोड्स कहते है।
क्रिप्टो करेंसी के विरोध के कई कारण है।लाभ के स्थान पर इसकी हानियां अधिक गम्भीर है।क्रिप्टोकरेंसी को विश्व के किसी भी देश या केंद्रीय बैंक द्वारा मुद्रा के रूप में वैधानिकता नहीं प्राप्त है। क्रिप्टोकरेंसी की विश्वसनीयता और किसी वित्तीय निकाय के समर्थन के अभाव में इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है।विनिमय वस्तु के रूप में: शेयर बाज़ार में किसी भी व्यवसाय इकाई के शेयर की कीमतों का निर्धारण उसके कारोबार, बाज़ार में उसकी मांग आदि के आधार पर किया जाता है, परंतु क्रिप्टोकरेंसी में पारदर्शिता के अभाव और इसकी कीमतों की अस्थिरता को देखते हुए कई विशेषज्ञों ने क्रिप्टोकरेंसी के विनिमय के संदर्भ में आशंकाएँ जाहिर की हैं।इसके दुष्परिणामो में क्रिप्टो करेंसी को किसी देश अथवा केंद्रीय बैंक की मान्यता नहीं प्राप्त होती जिससे इसके मूल्य की अस्थिरता का भय सदैव ही बना रहता है।
क्रिप्टोकरेंसी की गोपनीयता के कारण आतंकवादी या अन्य गैर-कानूनी गतिविधियों में इसके प्रयोग का भय बना रहता है।प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी पर सरकार की मौद्रिक नीतियों का प्रभाव नहीं पड़ता, ऐसे में क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग को बढ़ावा देना देश की अर्थव्यवस्था के लिये भारी नुकसानदायक हो सकता है।क्रिप्टोकरेंसी में लेन-देन के व्यवस्थित संचालन के लिये लाखों की संख्या में बड़े-बड़े कंप्यूटरों का उपयोग किया जाता है, जो ऊर्जा अपव्यय का एक बड़ा कारण है। उदाहरण के लिये जुलाई 2019 में जर्मनी की टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ़ म्यूनिख के शोधकर्त्ताओं ने बिटकॉइन प्रणाली के कार्बन पदचिह्न (Carbon Footprint) के बारे में चिंताजनक आंकड़े जारी किये थे।वर्तमान में जब विश्व के कई देश बहु-राष्ट्रीय कंपनियों द्वारा किये जा रहे कर अपवंचन को रोकने के लिये प्रयासरत हैं तो ऐसे में विनियमन की किसी समायोजित नीति के अभाव में क्रिप्टोकरेंसी को अवैध मुद्रा के स्टेटस से बाहर रखना, कर अपवंचन रोकने के प्रयासों को और अधिक जटिल बना देता है।
2018 में आरबीआई ने क्रिप्टो करेंसी के लेन-देन का समर्थन करने को लेकर बैंकों और विनियमित वित्तीय संगठनों को प्रतिबंधित कर दिया था।लेकिन मार्च 2020 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने आरबीआई के प्रतिबंध के ख़िलाफ़ फ़ैसला सुनाते हुए कहा था कि सरकार को ‘कोई निर्णय लेते हुए इस मामले पर क़ानून बनाना चाहिए। केंद्रीय रिज़र्व बैंक ने इस साल फिर से डिजिटल करेंसी के कारण साइबर धोखाधड़ी के मुद्दे को उठाया है।ऐसी स्थिति में भारत मे क्रिप्टो करेंसी पर गम्भीर मंथन की भी आवश्यकता है और समय की मांग के हिसाब से विधयक द्वारा सुधार और विकल्प की भी ताकि आर्थिक गतिविधियों मजबूती से संचालित की जा सके।इसलिये पिछले महीने आरबीआई ने फिर एक बार कहा था कि वे भारत की ख़ुद की क्रिप्टो करेंसी को लाने और उसके चलन को लेकर विकल्प तलाश रही है. सरकार के भविष्य के फ़ैसले को लेकर एक नज़रिया यह भी बेहद निर्णायक होगा कि भारत में इस मुद्रा का कैसे इस्तेमाल होगा.सरकार ने साफ़ किया है कि वे क्रिप्टो करेंसी को रखने वालों को इसे बेचने के लिए वक़्त देगी.यह विधेयक भारत में क्रिप्टो करेंसी के इस्तेमाल को क़ानूनी रूप से नियंत्रित करेगा.क्रिप्टो करेंसी पर भारत के हर क़दम पर दुनिया की नज़र है. संसद के अगले सत्र में अगर इस विधेयक को पेश किया जाता है तो इस पर निवेशकों की क़रीबी नज़र होगी.इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है कि कितने भारतीयों के पास क्रिप्टो करेंसी है या कितने लोग इसमें व्यापार करते हैं लेकिन कई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि करोड़ों लोग डिजिटल करेंसी में निवेश कर रहे हैं और महामारी के दौरान इसमें बढ़ोतरी हुई है।
भारत की ख़ुद की क्रिप्टो करेंसी बनाने का क्या अर्थ है? यह क्यो आवश्यक है?यह भी विचारणीय है।बीते महीने आरबीआई और वित्त मंत्रालय कह चुका है कि वे भारत की ख़ुद की डिजिटल करेंसी और उसके विनियमन के लिए क़ानून बनाने पर विचार करेंगे।लेकिन क्या भारत की ख़ुद की डिजिटल करेंसी लाना आसान है?सरकार केवल किसी प्रकार के लेन-देन को एक लीगल टेंडर का दर्जा देगी जो कि भारत की भारी जनसंख्या इस्तेमाल कर सकती है!हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल लीगल टेंडर को जारी करना चुनौतीपूर्ण है।कॉर्पोरेट लॉ फ़र्म जे सागर एसोसिएट्स के पार्टनर सजई सिंह क़ानून बनाने की चुनौतियों पर कहते हैं कि ‘भारत सरकार के सामने ऐसी चुनौतियां खड़ी होंगी कि क्या यह केवल थोक स्तर पर डिजिटल लीगल टेंडर होंगे या इनका आम जनता भी इस्तेमाल कर सकेगी?क्या रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की नागरिकों के डिजिटल करेंसी अकाउंट के बाद वाणिज्यिक बैंक खातों पर लगाम होगी? इसके लिए तकनीकी नवीनता और कार्यान्वयन भी बहुत बड़ी चुनौती होगी।इसके अलावा टैक्स, मनी लॉन्ड्रिंग, इनसोल्वेंसिंग कोड, पेमेंट सिस्टम, निजता और डाटा प्रोटेक्शन भी बड़ी चुनौतियां होंगी।इंडियन बिटकॉइन एक्सचेंज कंपनी बाइटेक्स के संस्थापक और सीईओ मोनार्क मोदी का मानना है कि कोविड-19 के कारण भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था में बदलाव आया है।
तमाम राष्ट्रों और नियामक संस्थाओं के लिए क्रिप्टोकरेंसी एक बड़ी चुनौती बन गई हैं. आख़िरकार, अगर क्रिप्टोकरेंसी को किसी देश की राष्ट्रीय मुद्रा के विकल्प के रूप में कारोबार करने या फिर देश की अर्थव्यवस्था में फैलाव बढ़ाने की इजाज़त दी गई, तो आशंका इस बात की है कि ये किसी भी देश की संप्रभुता में दख़लंदाज़ी करने लगेगी।अगर देशों के बीच लेन-देन में डिजिटल युआन का इस्तेमाल बढ़ता है, तो इससे अमेरिका के लिए अपने द्वारा लगाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को लागू करने और ऐसे लेन देन रोकने की क्षमता पर असर पड़ेगा, जो डॉलर में होते हैं।भारत के पास इस बात की काफ़ी संभावनाएं हैं कि वो NIPL के ज़रिए तकनीकी कूटनीति को आगे बढ़ाए और आपस में संचालित हो सकने वाले भुगतान के नेटवर्क को अलग अलग क्षेत्रों में स्थापित करे.भारत में ये क़दम इसलिए उठाया गया था, जिससे भारत में बैंकों के भुगतान की व्यवस्था को और सुधारा जा सके. जिसमें ग्राहकों को अच्छे अनुभव वाले बैंक के ऐप का चुनाव करके अपने खाते से फंड के लेन-देन में आसानी हो सके।यदि इस बिल क्रिप्टोकरेंसी प्रतिबंध एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक (Draft Banning of Cryptocurrency & Regulation of Official Digital Currency Bill) 2019 भारत सरकार लाने का विचार कर रही है ,उससे मौजूदा क्रिप्टो करेंसी को प्रितिबन्धित कर भारतीय रिज़र्व बैंक के नियंत्रण में कोई अन्य क्रिप्टो आधिकारिक क्रिप्टो करेंसी जारी करती है तो उसके दूरगामी परिणाम होंगे और भारतीय अर्थव्यवस्था की पारदर्शिता व साख भी निश्चित तौर पर सुदृढ़ हो सकेगी।इसके परिणाम स्वरूप लुंज पुंज व छुपे हुए विनियमन का भी समाधान हो सकेगा।गंभीर समस्याओं को रोकने के लिये एवं यह सुनिश्चित करने के लिये कि क्रिप्टोकरेंसी का दुरुपयोग न हो तथा निवेशकों को अत्यधिक बाजार अस्थिरता और संभावित घोटालों से बचाने के लिये विनियमन की आवश्यकता है।विनियमन को स्पष्ट, पारदर्शी, सुसंगत और इस दृष्टि से अनुप्राणित होने की आवश्यकता है कि उसका उद्देश्य क्या है,यह अत्यंत आवश्यक है कि क्रिप्टोकरेंसी परिभाषा पर स्पष्टता हो। कानूनी और नियामक ढाॅंचे को पहले क्रिप्टो-मुद्राओं से संबंधित परिभाषा को स्पष्ट करना चाहिये। राष्ट्रीय कानूनों के तहत ये मुद्रा प्रतिभूतियों के तहत आयेंगे या अन्य वित्तीय साधनों के रूप में परिभाषित किये जाएंगे।
मजबूत केवाईसी मानदंड होने चाहिए।क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध के बजाय सरकार कड़े केवाईसी (Know Your Customer) मानदंडों, रिपोर्टिंग और कर योग्यता को शामिल करके क्रिप्टोकरेंसी के व्यापार को विनियमित करेगी।पारदर्शिता सुनिश्चित करना: पारदर्शिता, सूचना उपलब्धता और उपभोक्ता संरक्षण के बारे में चिंताओं को दूर करने के लिये रिकॉर्ड कीपिंग, निरीक्षण, स्वतंत्र ऑडिट, निवेशक द्वारा शिकायत निवारण और विवाद समाधान पर भी विचार किया जा सकता है।
हालांकि उद्यमिता की भावना को बढ़ावा देने में इसका महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है।क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन तकनीक भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में उद्यमशीलता की लहर को बढ़ावा दे सकती है एवं ब्लॉकचैन डेवलपर्स से लेकर डिज़ाइनरों, प्रोजेक्ट मैनेजरों, बिज़नेस एनालिस्ट, प्रमोटर्स और मार्केटर्स तक विभिन्न स्तरों पर रोज़गार के अवसर पैदा कर सकती है।भारत वर्तमान में डिजिटल क्रांति के अगले चरण के शिखर पर है और अपनी मानव पूंजी, विशेषज्ञता और संसाधनों को इस क्रांति में शामिल कर इसके नेतृत्वकर्ता के रूप में उभर सकता है। इसके लिये केवल नीति निर्धारण को ठीक करने की आवश्यकता है।यह बिल अत्यंत आवश्य भी है ,समय की मांग भी है और इसमें देश के आर्थिक भविष्य के राज भी छुपे है।अतः भविष्य की ज़रूरतों और इस क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों को ध्यान में रखते हुए यह आवश्यक है कि क्रिप्टोकरेंसी के संदर्भ में सरकार, डिजिटल मुद्रा के विशेषज्ञों और सभी हितधारकों के बीच समन्वय, को बढ़ाया जाए जिससे इस क्षेत्र के बारे में जन-जागरूकता को बढ़ाया जा सके। साथ ही भविष्य की ज़रूरतों को देखते हुए क्रिप्टोकरेंसी के विनियमन के लिये एक मज़बूत एवं पारदर्शी तंत्र का विकास किया जा सके।–विभूति चौबीसा,’गार्गी’,फ्री लांस राइटर,बांसवाड़ा राजस्थ