साहित्य सम्मेलन के ४१वें महाधिवेशन की तिथि बढ़ाई गई /अब २-३ अप्रैल को आयोजित होगा दो दिवसीय साहित्यिक कुम्भ, सरस्वती पुत्रों का होगा सम्मान,

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 उपसमितियों के गठन भी शीघ्र, कार्यसमिति में लिए गए निर्णय

पटना/प्रतिनिध पटना (मालंच नई सुबह) पटना, २७ जनवरी। आगामी १२-१३ फरवरी को आहूत होने वाला बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन का ४१वाँ महाधिवेशन अब २-३ अप्रैल को आयोजित होगा। कोबिड-१९ के नए रूप के प्रसार के कारण, राज्य सरकार के निर्देशों और इस कारण तैयारियों में आई बाधाओं को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। महाधिवेशन की विषय-निर्वाचिनी-समिति सहित अन्य सभी उपसमितियों का गठन भी एक सप्ताह के भीतर हो जाएगा।

बुधवार को सम्मेलन सभागार में आयोजित सम्मेलन की कार्यसमिति की बैठक में इस तरह के अनेक प्रस्ताव पारित किए गए। सम्मेलन अध्यक्ष ने बताया है कि आगामी महाधिवेशन के स्वागताध्यक्ष एवं पूर्व सांसद रवींद्र किशोर सिन्हा से विमर्श के पश्चात यह प्रस्ताव कार्यसमिति में लाया गया था, जिसका सर्वसम्मति से अनुमोदन किया गया। दो दिनों के इस साहित्यिक महाकुंभ में बिहार के सभी ज़िलों के साहित्यकारों के साथ देश के विभिन्न प्रांतों के मनीषी विद्वानों और विदुषी कवयित्रियों की गरिमामयी उपस्थिति होगी।

चयनित विदुषियों और विद्वानों को विविध अलंकरणों से विभूषित भी किया जाएगा। डा सुलभ ने बताया कि यह अधिवेशन महान कथाकार फणीश्वरनाथ रेणु की जन्मशती और भारत की स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव को समर्पित है। इसीलिए चार वैचारिक सत्रों में से दो में रेणु और स्वतंत्रता-संग्राम में साहित्यकारों के अवदान पर परिचर्चा होगी। हिन्दी के गौरव गीतकार गोपालदास नीरज की स्मृति में एक भव्य राष्ट्रीय गीत-गोष्ठी और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ भी संपन्न होगी।

इस अवसर पर एक हज़ार पृष्ठों का एक ग्रंथ ‘बिहार की साहित्यिक प्रगति’ का प्रकाशन भी होगा, जिसमें विगत सौ वर्षों में हुए हिन्दी के विकास की दुर्लभ किंतु प्रामाणिक इतिहास मिलेगा। सम्मेलन पत्रिका के महाधिवेशन विशेषांक सहित अन्य पुस्तकें भी लोकार्पित होंगी।

डा अनिल सुलभ की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में सम्मेलन के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ कथाकार जियालाल आर्य, डा शंकर प्रसाद, डा मधु वर्मा, प्रधानमंत्री डा शिववंश पाण्डेय, साहित्यमंत्री डा भूपेन्द्र कलसी, प्रचार मंत्री डा ध्रुब कुमार, बच्चा ठाकुर, पूनम आनंद, डा सुलक्ष्मी कुमारी, डा शालिनी पाण्डेय, सुनील कुमार दूबे, कृष्णरंजन सिंह, डा मेहता नगेंद्र सिंह, आराधना प्रसाद, डा पल्लवी विश्वास, डा अर्चना त्रिपाठी, डा अमरनाथ प्रसाद, श्याम बिहारी प्रभाकर, माधुरी भट्ट, आनंद किशोर मिश्र, राजेश कुमार भट्ट, ई अमरेन्द्र कुमार, डा विनय कुमार विष्णुपुरी, चंदा मिश्र, बाँके बिहारी साव, इन्दु उपाध्याय, नीरव समदर्शी,पंकज प्रियम, प्रेमलता सिंह, अंकेश कुमार, पूजा ऋतुराज, रेखा भारती, नेहाल कुमार सिंह ‘निर्मल’ आदि उपस्थित थे।बैठक के पूर्व गणतंत्र दिवस समारोह का आयोजन संपन्न हुआ। सम्मेलन अध्यक्ष डा सुलभ ने राष्ट्रीय ध्वज का आरोहण किया। इस अवसर पर एक कवि सम्मेलन का भी आयोजन हुआ, जिसमें डा शंकर प्रसाद, माधुरी भट्ट, कौसर कोल्हुआ कमालपुरी, अर्जुन सिंह, इन्दु उपाध्याय, डा आर प्रवेश, नंदिनी प्रनय आदि ने राष्ट्रभक्ति की कविताओं से श्रोताओं को अनुप्राणित किया।

 

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