योगिनियाँ का सम्बन्ध तंत्र तथा योग विद्या से होती है

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योगिनियाँ का सम्बन्ध तंत्र तथा योग विद्या से होती है

जितेन्द्र कुमार सिन्हा,

चौसठ योगिनियों की चर्चा पुराणों में है। सभी योगिनियों को आदिशक्ति माँ काली का अवतार माना गया है। कहा जाता है कि “घोर” नामक दैत्य के साथ युद्ध करते समय योगिनियों का अवतार हुआ था और यह सभी माता पार्वती की सखियां मानी गई हैं। वहीं ब्रह्म वैवर्त पुराण के अनुसार ये सभी 64 योगिनी कृष्ण की नासिका के छेद से प्रकट हुई है।

स्त्री के बिना पुरुष और पुरुष के बिना स्त्री अधूरी होती है और पूर्ण पुरुष 32 कलाओं से युक्त होता है वही संपूर्ण स्त्री भी 32 कलाओं से युक्त होती है, इसलिए दोनों को मिलाकर 64 योगिनी शिव और शक्ति जो संपूर्ण कलाओं से युक्त हैं के मिलन से प्रकट हुई है।
यह भी कहा जाता है कि चन्द्रमा मन का प्रतीक होता है और इसकी 16 कलाएं होती है, जो हमारी आयु की चारों अवस्थाओं में भिन्न भिन्न होती है, आदि गुरु के चार मठ और हमारे चार युग सोलह संस्कारों के साक्षी है। प्रत्येक दिशा में 8 योगिनी फैली हुई है, हर योगिनी के लिए एक सहायक योगिनी है। इस प्रकार हर दिशा में 16 योगिनी है। दिशा 4 होने के कारण कुल 64 योगिनी है।

सभी योगिनी तंत्र की अधिष्ठात्री देवी है। इनमे से एक भी देवी की कृपा हो जाने पर उससे संबंधित तंत्र की सिद्धि मानी जाती है। योगिनियों की पूजा करने से ही सभी देवियों की पूजा मान्य है। इन 64 देवियों में से 10 महाविद्या और सिद्ध विद्याओं की भी गणना की गई है। ये सभी आद्या शक्ति काली के ही भिन्न-भिन्न अवतार रूप है।
कुछ लोगों का यह भी मानना है कि सभी योगिनियों का संबंध मुख्यतः काली कुल से हैं और ये सभी तंत्र तथा योग विद्या से घनिष्ठ सम्बन्ध रखती है। अलौकिक शक्तिओं से सम्पन्न होती है। इंद्रजाल, जादू, वशीकरण, मारण, स्तंभन इत्यादि कार्य इन्हीं की कृपा से की जाती है। सही अर्थ में आधुनिक विज्ञान का आधार यहीं है, लेकिन दुर्भाग्य से लोगों ने इसे समझने के बजाये, इसे टोने-टोटकों से जोड़ दिया है।

योगिनियों में आठ योगनियाँ यथा- (1) सुर-सुंदरी योगिनी (2) मनोहरा योगिनी (3) कनकवती योगिनी (4) कामेश्वरी योगिनी (5) रति सुंदरी योगिनी (6) पद्मिनी योगिनी (7) नटिनी योगिनी एवं (8) मधुमती योगिनी प्रमुख हैं।

सुर-सुंदरी योगिनी के सम्बंध में कहा गया है कि ये अत्यंत सुंदर, शरीर सौष्ठव, अत्यंत दर्शनीय है। इनकी साधना एक महीने तक की जाती है। इनके प्रसन्न होने पर ही सुर-सुंदरी योगिनी सामने आती है और इन्हें माता, बहन या पत्नी कहकर संबोधन किया जाता है। इनकी सिद्धि से राज्य, स्वर्ण, दिव्यालंकार तथा दिव्य कन्याएं की प्राप्ति होती हैं ।

मनोहरा योगिनी अत्यंत सुंदर होती हैं और इनके शरीर से सुगंध निकलती रहती है। एक महीने साधना करने पर ये प्रसन्न होती है। इनकी सिद्धि से साधक को प्रतिदिन स्वर्ण मुद्राएं प्राप्त होती है।

कनकवती योगिनी रक्त वस्त्रालंकार से भूषित रहती हैं तथा सिद्धि के पश्चात ये अपनी परिचारिकाओं के साथ आकर वांछित कामना पूर्ण करती है।

कामेश्वरी योगिनी का जप रात्रि में किया जाता है। पुष्पों से सज्जित देवी प्रसन्न होकर ऐश्वर्य, भोग की वस्तुएं प्रदान करती हैं।

रति सुंदरी योगिनी स्वर्णाभूषण से सुसज्जित देवी हैं, महीने भर$ की साधना के बाद प्रसन्न होकर अभीष्ट वर प्रदान करती है और सभी ऐश्वर्य, धन एवं वस्त्रालंकार देती हैं।

पद्मिनी योगिनी का वर्ण श्याम रहता है। ये देवी वस्त्रालंकार से युक्त, महीने भर साधना के बाद प्रसन्न होकर ऐश्वर्यादि प्रदान करती हैं।
नटिनी योगिनी को अशोक वृक्ष के नीचे रात्रि में साधना कर के सिद्ध किया जाता है। इनकी प्रसन्नता से अपने सारे मनोरथ पूर्ण किए जाते हैं।

मधुमती योगिनी शुभ्र वर्ण की होती है। योगिनी अति सुंदर, विविध प्रकार के अलंकारों से भूषित होती हैं। साधना के पश्चात सामने आकर किसी भी लोक की वस्तु प्रदान करती हैं। इनकी कृपा से पूर्ण आयु, अच्छा स्वास्थ्य तथा राज्याधिकार प्राप्त होता है।

चौंसठ योगिनियों में (1) बहुरूप, (2) तारा, (3) नर्मदा, (4) यमुना, (5) शांति, (6) वारुणी (7) क्षेमंकरी, (8) ऐन्द्री, (9) वाराही, (10) रणवीरा, (11) वानर-मुखी, (12) वैष्णवी, (13) कालरात्रि, (14) वैद्यरूपा, (15) चर्चिका, (16) बेतली, (17) छिन्नमस्तिका, (18) वृषवाहन, (19) ज्वाला कामिनी,  (20) घटवार, (21) कराकाली, (22) सरस्वती, (23) बिरूपा, (24) कौवेरी, (25) भलुका, (26) नारसिंही, (27) बिरजा, (28) विकतांना, (29) महालक्ष्मी, (30) कौमारी, (31) महामाया, (32) रति, (33) करकरी, (34) सर्पश्या, (35) यक्षिणी, (36) विनायकी, (37) विंध्यवासिनी, (38) वीर कुमारी, (39) माहेश्वरी, (40) अम्बिका, (41) कामिनी, (42) घटाबरी, ( 43) स्तुती, (44) काली, (45) उमा, (46) नारायणी, (47) समुद्र, (48) ब्रह्मिनी, (49) ज्वाला मुखी, (50) आग्नेयी, (51) अदिति, (52) चन्द्रकान्ति, (53) वायुवेगा, (54) चामुण्डा, (55) मूरति, (56) गंगा, (57) धूमावती, (58) गांधार, (59) सर्व मंगला, (60)अजिता, (61) सूर्यपुत्री (62) वायु वीणा, (63) अघोर और (64) भद्रकाली योगिनियाँ है। इन 64 योगिनियों के मंदिर भारत में है।

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